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नीचे आग और ऊपर लहलहाती धान की फसल

धनबाद: अगर हौसला हो तो फायर एरिया में भी धान की फसल लहलहा सकती है. सेंदरा बांसजोड़ा पांच नंबर में ओवरबर्डेन और कोयले से काली धरती के बीच धानी चादर की तरह बिछी धान की फसल लोगों को बरबस आकर्षित करती है. राजू राम चौहान अपने दादा और पिता की तरह खेती में लगा है. […]

धनबाद: अगर हौसला हो तो फायर एरिया में भी धान की फसल लहलहा सकती है. सेंदरा बांसजोड़ा पांच नंबर में ओवरबर्डेन और कोयले से काली धरती के बीच धानी चादर की तरह बिछी धान की फसल लोगों को बरबस आकर्षित करती है. राजू राम चौहान अपने दादा और पिता की तरह खेती में लगा है. राजू राम चौहान ने बताया कि उसके दादा स्व राम प्रसाद चौहान आजादी के पहले यहां आये थे और चार एकड़ जमीन ली थी. उस समय से यहां खेती हो रही है.
दादा वर्ष 1994 में बीसीसीएल से रिटायर हो गये. उसके बाद पिता देव नारायण चौहान ने खेती की और अब वह खेती में लग गया है. अभी राजू ने अपनी दो एकड़ जमीन पर धान की फसल लगायी है. किनारे-किनारे आम के पेड़ लगे हैं और एक तरफ ईख की खेती भी की जा रही है. इसके साथ ही गेहूं, सब्जी व अन्य तरह की फसल भी उगायी जाती है.
मुसीबतों के बाद भी हौसला बरकरार
राजू ने बताया कि एक तरफ खेती और दूसरी तरफ आउटसोर्सिंग में कोयला खनन हो रहा है. गर्म कोयला को निकाल कर उसमें पानी डाला जाता. गर्म पानी खेत में आता है. इससे फसल नुकसान होता है. वहीं बलास्टिंग के बारूद से भी खेती पर बुरा प्रभाव पड़ा है. लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी वह खेती नहीं छोड़ रहा है और आगे भी जारी रखेगा. खेत के बीचोंबीच एक मजार है जिसकी देखभाल भी राजू और उसका परिवार करता है. यह मजार उसके दादा ने बनाया था.

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