धनबाद: स्थान सिंह मैंशन, समय लगभग अपराह्न चार बजे. घर के बाहर एवं अंदर दुपहिये एवं चार पहिये वाहनों का जमावड़ा. एक तरफ, बाहर में खास समर्थक चाय, कॉफी की चुस्की ले कर चर्चा में मशगूल हैं.
अच्छा हुआ चाचा बैठ गये, (युवा समर्थक रामधीर को चाचा कह कर ही संबोधित करते हैं) नहीं तो हम लोगों के सामने बड़ी मुश्किल होती. किसकी बात मानते. दूसरी तरफ, ड्राइंग रूम में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा एवं बलिया जिला परिषद के अध्यक्ष रामधीर सिंह एक साथ संगल कुरसी वाले सोफा पर बैठे हैं.
बगल में संजीव सिंह को बैठाया जाता है. दाहिने तरफ लंबा सोफा पर विधायक कुंती देवी, सांसद पशुपति नाथ सिंह एवं विधायक के निकट संबंधी विनय सिंह बैठे हैं. इसके अलावा भाजपा नेता राज सिन्हा, सत्येंद्र कुमार, संजय झा जमे हुए हैं. चर्चा शुरू होती है कि क्या निर्णय हुआ? रामधीर सिंह तपाक से बोलते हैं अरे भाई चुनाव नहीं लड़ेंगे. परिवार से बढ़ कर कुछ होता है. हम हाथी पर ना बइठब. सब ठहाका लगाते हैं. सबके चेहरे पर सुकून का भाव उमड़ता है. मुंडाजी कहते हैं कि भाई सब मिल कर लगें. अब मैं चलता हूं. अर्जुन मुंडा का काफिला निकलता है.साथ में संजीव सिंह भी उन्हें छोड़ने गाड़ी में बैठ कर बोकारो निकल जाते हैं.
मैंशन वाले टेंशन फ्री
रामधीर सिंह को चुनाव मैदान में नहीं उतरने देने पर सहमति बनने के बाद ही विधायक कुंती देवी एवं उनके पुत्र संजीव सिंह पहली बार भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में खुल कर सामने आये. संजीव सिंह जहां नामांकन कराने गये, वहीं कुंती देवी भी सिंह मैंशन में मीडिया के सामने आ कर भाईजी (पीएन सिंह) के पक्ष में बयान दिया. मैंशन वाले भी आज टेंशन फ्री दिखे. अब खुल कर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार कर पायेंगे. अब अपने ही चाचा के खिलाफ प्रचार करने की मजबूरी नहीं होगी. परिवार में बिखराव का खतरा भी टल गया.
अंदरखाने की बात
बसपा प्रत्याशी के रूप में रामधीर सिंह नहीं लड़ें. इसके लिए रामधीर सिंह के साढ़एवं संजीव सिंह के मौसा विनय सिंह लगातार दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने में लगे रहे. कई दौर की बातें हुई. विधायक कुंती देवी भी लगातार समझौता कराने में लगी रही. परिवार के राजनीतिक भविष्य पर भी लंबी चर्चा हुई.