वह बुधवार को रांची जाने के क्रम में संघ कार्यालय विश्वकर्मा भवन में आयोजित परिचय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा आज देश में वैश्वीकरण के नाम पर जो सुधार कार्यक्रम चल रहा है, उससे मजदूर क्षेत्र में जंगल राज आने की आशंका प्रबल हो गयी है. एेसे में बीएमएस की भूमिका काफी बढ़ गयी है. देश की आर्थिक नीति कैसी हो, इस पर विचार करने की जरूरत है. अधिकारियों का सोच वैश्वीकरण के पक्ष में है. कहा कि 11 से 13 अगस्त तक रांची में केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में असंगठित मजदूरों, कृषि आदि मुद्दों पर चर्चा होगी.
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10 साल में स्थायी नौकरी खत्म होगी : नारायणन
धनबाद. देश के संगठित क्षेत्र में आज मजदूरों की संख्या 80 प्रतिशत हो गयी है. यही गति रही तो आने वाले 10 साल में स्थायी नौकरी समाप्त हो जायेगी. इसका कारण है स्थायी श्रमिकों की अपेक्षा ठेका मजदूरों को मिलने वाला कम वेतन और शोषण. यह कहना है भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीके […]
धनबाद. देश के संगठित क्षेत्र में आज मजदूरों की संख्या 80 प्रतिशत हो गयी है. यही गति रही तो आने वाले 10 साल में स्थायी नौकरी समाप्त हो जायेगी. इसका कारण है स्थायी श्रमिकों की अपेक्षा ठेका मजदूरों को मिलने वाला कम वेतन और शोषण. यह कहना है भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीके सजी नारायणन का.
चीन में भी गरीबी : बीएमएस के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी सुरेंद्रन ने कार्यक्रम में कहा कि ब्रिक्स देशों के मजदूर संगठनों के सम्मेलन में भाग लेने चीन गये थे. साथ में इंटक, और लेफ्ट यूनियनों के प्रतिनिधि भी थे. वहां की स्थिति देख कर लेफ्ट यूनियन नेता दंग रह गये. संचालन बीएमएस के जिला मंत्री महेंद्र सिंह ने किया. जबकि बीएमएस के वित्त सचिव जगदीश जोशी,धकोकसं के अध्यक्ष ओम कुमार सिंह, महामंत्री केपी गुप्ता, सुर्यनाथ सिंह, माधव सिंह, ललन मिश्रा, केके सिंह,प्रवीण झा,मकरू महतो, ज्ञानडंद राठौर, विवेकानंद उपाध्याय, रूमा बनर्जी, शंकुतला मिश्रा, प्रवीण झा आदि उपस्थित थे.
इंटक विवाद में बीएमएस का कोई हाथ नहीं
कार्यक्रम के बाद एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि 8 अगस्त को दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की आयोजित संयुक्त कन्वेंशन में बीएमएमएस को नहीं बुलाया गया था. इंटक विवाद के बारे में कहा कि इंटक का आंतरिक विवाद है. बीएमएस का कोई हाथ नहीं है.
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