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अब कोल इंडिया में बहाल होंगे सिर्फ अधिकारी, ठेके पर होंगे कामगार
बेरमो: आने वाले समय में देश का सार्वजनिक प्रतिष्ठान कोल इंडिया में काफी आमूल परिवर्तन देखने को मिलेगा. फिलहाल कोल सेक्टर संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. इसलिए उसी हिसाब से एचआर पालिसी तय की जा रही है. कोल इंडिया के विजन-2020 में स्पष्ट किया गया है कि कोल इंडिया एवं उसकी अनुषंगी […]
बेरमो: आने वाले समय में देश का सार्वजनिक प्रतिष्ठान कोल इंडिया में काफी आमूल परिवर्तन देखने को मिलेगा. फिलहाल कोल सेक्टर संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. इसलिए उसी हिसाब से एचआर पालिसी तय की जा रही है. कोल इंडिया के विजन-2020 में स्पष्ट किया गया है कि कोल इंडिया एवं उसकी अनुषंगी कंपनियों में केवल अधिकारी तथा स्टेच्यूटरी पोस्ट में ओवर मैन, सर्वेयर, माइनिंग सरदार आदि पदों पर ही बहाली होगी. और कामगार ठेके पर बहाल होंगे.
विजन रिपोर्ट रणनीति का आईना : जिस कोल इंडिया में कभी सात लाख से अधिक कामगार होते थे, फिलहाल वहां करीब सवा तीन लाख कामगार रह गये हैं. इसके बावजूद कोल इंडिया में मैनपावर अभी भी जरूरत से ज्यादा है. इसका उल्लेख कोल इंडिया की विजन रिपोर्ट एवं एचआर पालिसी में है. विजन रिपोर्ट में जिक्र है कि कोल इंडिया से सालाना 750 अधिकारी रिटायर हो रहे हैं. इससे मिडिल एवं टॉप मैनेजमेंट में अनुभवी अधिकारियों की कमी हो गयी है. लगातार पांच साल से हर साल एक-एक हजार नये अधिकारी बहाल हो रहे हैं. कोल इंडिया की मानव संसाधन नीति लगातार बदल रही है. विजन रिपोर्ट में बताया गया है कि कोल सेक्टर संरचनात्मक बदलाव का दौर से गुजर रहा है. इसलिए उसी हिसाब से एचआर पालिसी निर्धारित की जा रही है. कामगारों की छंटनी की नयी-नयी तरकीब इसी नीति का हिस्सा है.
प्रबंधन के सामने श्रमिक संघ बेअसर:सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड का देश के कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कंपनी ने 2020 तक एक अरब टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है. कोल इंडिया में आने वाले समय में कोल प्रोडक्शन तो बढ़ेगा, लेकिन मैन पावर काफी कम हो जायेगा. आउटसोर्सिंग से ही कोल इंडिया ने 2020 तक एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है. हर साल कोलकर्मियों के रिटायरमेंट की संख्या बढ़ती जा रही है. कोल इंडिया में 80 के दशक में बहाल हुए सारे कोल कर्मी लगभग रिटायर होने के कगार पर हैं. नयी बहालियां बंद हैं. पहले से जारी सुविधा को भी समाप्त करने के लिए नित्य नयी नीतियों पर मंत्रालय एवं प्रबंधन काम कर रहा है.
70 फीसद उत्पादन आउटसोर्स से
वर्तमान में कोल इंडिया का 70 प्रतिशत तक उत्पादन आउटसोर्सिंग से हो रहा है. अधिकतर ओपनकास्ट माइंस आउटसोर्सिंग के हवाले हैं. माइंसों में डेवलपर कम ऑपरेटर (एमडीओ) का प्रयोग काफी सफल रहा है. कई बड़े प्रोजेक्ट एमडीओ के हवाले हैं. इसके जरिये बड़ी निजी कंपनियों का मार्ग प्रशस्त हुआ है. कई निजी या सरकारी कंपनियों के सहयोग से ज्वाइंट वेंचर में प्रोजेक्ट चलाये जा रहे हैं. इसमें भी ज्यादातर कर्मी ठेके पर उपलब्ध होते हैं. एक ठेका कर्मी का मासिक वेतन 10-15 हजार रुपये है तथा काम के घंटे की कोई सीमा नहीं है. रोजाना तीन शिफ्ट में कोल इंडिया के तीन कामगारों का मासिक वेतन न्यूनतम सवा से डेढ़ लाख तक है. यही नहीं, ठेका मजदूरों को अभी तक हाई पावर कमेटी की अनुशंसा के तहत किसी तरह की सुविधा मयस्सर नहीं है. सालाना बोनस भी नहीं दिया जाता है.
कई एग्रीमेंट बदलना चाह रहा प्रबंधन
कोल इंडिया प्रबंधन वेजबोर्ड-एक से लेकर वेजबोर्ड-9 में कोलकर्मियों के हित में कई ऐसे एग्रीमेंट को अब बदल कर मैन पावर कम करना चाहता है. इसलिए जेबीसीसीआइ की छठी बैठक (6-7 जुलाई) को प्रबंधन ने करोड़ों के घाटे में चल रही 37 भूमिगत खदानों को बंद कर इसमें कार्यरत लगभग 15 हजार कर्मियों के लिए वीआरएस लाने पर विचार कर रही है. कोल इंडिया प्रबंधन ने इसके लिए यूनियन नेताओं के साथ एक कमेटी गठित की है. कमेटी इसे लेकर एक पारदर्शी स्कीम बनायेगी. स्कीम बनते ही प्रबंधन इसे क्रमश: पूरी तरह खत्म कर देगा. अगर कुछ गंभीर मामलों में नियुक्ति होगी भी तो वह कोल इंडिया में नियुक्ति के आधार पर ही होगा.
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