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71 में छा गये थे रामनारायण

धनबाद: देश में कांग्रेस के पक्ष में हवा चल रही थी. धनबाद संसदीय सीट से पार्टी ने वर्ष 1971 में मजदूर नेता राम नारायण शर्मा को उम्मीदवार बनाया था. जेएपी ने एक कंपनी के अधिकारी रहे प्राण प्रसाद चुनाव मैदान में थे. कई कांग्रेसी भी अपने उम्मीदवार के खिलाफ धनी उम्मीदवार के साथ हो लिये […]

धनबाद: देश में कांग्रेस के पक्ष में हवा चल रही थी. धनबाद संसदीय सीट से पार्टी ने वर्ष 1971 में मजदूर नेता राम नारायण शर्मा को उम्मीदवार बनाया था. जेएपी ने एक कंपनी के अधिकारी रहे प्राण प्रसाद चुनाव मैदान में थे. कई कांग्रेसी भी अपने उम्मीदवार के खिलाफ धनी उम्मीदवार के साथ हो लिये थे, बावजूद राम नारायण शर्मा 70 हजार 923 वोटों से सीपीएम उम्मीदवार बिनोद बिहारी महतो को हरा कर संसद पहुंचे थे. प्राण प्रसाद तीसरे नंबर पर थे. तीनों को क्रमश: 1 07308, 36 385 और 23714 वोट मिले थे.

बिनोद बाबू, जिन्होंने बाद में अन्य साथियों के साथ मिल कर झामुमो बनाया, ने राजनीति सीपीएम से ही शुरू की थी. राम नारायण शर्मा के सहयोगी रहे अजबलाल शर्मा (83 वर्ष) बताते हैं कि कांग्रेस का चुनाव चिह्न गाय और बछड़ा था. वे लोग ट्रक पर गाय-बछड़ा लेकर कोलियरी क्षेत्रों में घूमते थे. राम नारायण बाबू मजदूरों के नेता थे, विपक्षी दल आर्थिक संपन्नता के बल पर क्षेत्र में भारी पड़ने की कोशिश में थे. मजदूरों की एकजुटता काम आयी और रामनारायण बाबू जीत गये. उस समय कांग्रेस जिला अध्यक्ष योगेश्वर प्रसाद योगेश थे. राम नारायण बाबू के साथ वह (अजबलाल शर्मा), चंद्रमौली शर्मा, एलपी सिंह व श्याम प्रसाद आदि कोलियरी से लेकर गांव-गांव में घूमते थे.

उस समय चुनाव में खर्च ज्यादा नहीं होता था. नेता भी लोकप्रिय होते थे. चुनाव में इसका फायदा मिलता था. वर्ष 1971 में धनबाद संसदीय क्षेत्र में तीन ही ब्लॉक बाघमारा, तोपचांची व टुंडी था. रामनारायण शर्मा के तीन बेटे हैं, बड़े बेटे नरेंद्र शर्मा अभी भी कांग्रेस व इंटक की राजनीति से जुड़े हुए हैं.

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