धनबाद : आइआइटी (आइएसएम) पैलेट गन के विकल्प के लिए शोध कर रहा है. संस्थान गैस, पेंट समेत अन्य कई विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिससे कश्मीर में पत्थरबाजों को तितर-बितर करने में आसानी हो. इससे किसी को कोई शारीरिक नुकसान तो न हो लेकिन उसकी शिनाख्त हो जाये. केंद्र सरकार ने सभी आइआइटी […]
धनबाद : आइआइटी (आइएसएम) पैलेट गन के विकल्प के लिए शोध कर रहा है. संस्थान गैस, पेंट समेत अन्य कई विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिससे कश्मीर में पत्थरबाजों को तितर-बितर करने में आसानी हो. इससे किसी को कोई शारीरिक नुकसान तो न हो लेकिन उसकी शिनाख्त हो जाये. केंद्र सरकार ने सभी आइआइटी को पत्र लिख कर ऐसे व अन्य इनोवेशन पर काम करने को कहा था. पैलेट गन को काफी नुकसानदेह बताते हुए कई लोगों ने इसका विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से पैलेट गन के विकल्प पर विचार करने को कहा था.
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शारीरिक नुकसान नहीं, लेकिन पहचान हो जाये : सूत्रों के मुताबिक पैलेट गन के विकल्पों में रंग, पेंट, स्प्रे पेंट, सेंट, इत्र आदि शामिल हो सकते हैं. ऐसे रंग या पेंट जो कम से कम 15-20 दिनों बाद ही उतर पायें और समय रहते सैनिक व पुलिस उस पत्थरबाज को पहचान जायें. ऐसा पेंट या रंग जिसे किसी साबुन या केमिकल से निकाला नहीं जा सके. अभी पत्थरबाज अपने चेहरे को नकाब या कपड़े से ढके होते हैं, जिससे उस वक्त उसे पहचाना नहीं जा सकता है. ऐसे पेंट या रंग आने के बाद पत्थरबाज माहौल शांत होने के बाद भी आसानी से पकड़े जा सकेंगे. आइआइटी आइएसएम समेत अन्य आइआइटीज में भी इस पर शोध चल रहे हैं. विदित हो कि कश्मीर के पत्थरबाजों से निबटने के लिए सेना ने पैलेट गन का इस्तेमाल शुरू किया था. पैलेट गन से प्लास्टिक/रबर के छर्रे निकलते हैं, जिससे काफी चोट लगती थी. आंख तक खराब होने के मामले सामने आये थे. शोध के संबंध में संस्थान की तरफ से कुछ भी कहने से बचा जा रहा है.