कई मजदूर ऐसी बीमारियों के शिकार हैं, जिससे वह चाहकर भी काम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे गंभीर रोगियों के स्थान पर उनके आश्रितों को नौकरी मिलनी चाहिए. 9:3:0 के मामले में यूनियनों ने कहा कि यह अनुकंपा आधारित नौकरी नहीं है. यह प्रबंधन व यूनियनों के बीच के वार्ता में तय किया गया है. यह एक स्कीम है.
इसे अदालत के आदेश की गलत व्याख्या कर समाप्त नहीं किया जा सकता है. कई मामलों ने सुप्रीम कोर्ट ने मृतक के परिजनों को नौकरी में रखने का निर्देश दिया है. प्रबंधन ने कहा कि इसकी एक बृहत स्कीम तैयार करायी जा सकती है. इसमें जो आश्रित या मेडिकल रूप से अनफिट नौकरी नहीं लेकर पैसा लेना चाहे, तो यह लाभ दिया जा सकता है. इस पर यूनियनों ने सहमति जतायी. यूनियनों ने इसे ऐच्छिक स्कीम बनाने को कहा. इस कमेटी की अगली बैठक 24 जुलाई को कोलकाता में ही होगी. मेडकिल अनफिट में और बीमारियों को शामिल किया जाए. बैठक की अध्यक्षता एनसीएल की निदेशक कार्मिक शांतिलता साहू ने की. बैठक में इसीएल के डीपी केएस पात्रो, एमसीएल के डीपी एलएन मिश्रा, सिंगरेनी के डीपी जे पवित्रण कुमार, सीसीएल के जीएमपी उदय प्रकाश, जेवीसीसीआइ की संयोजिका तृप्ति पी साव समेत बीके राय (बीएमएस), नत्थूलाल पांडेय (एचएमएस), लखनलाल महतो (एटक) और एसएच बेग (सीटू) शामिल थे. बीएमएस नेता बीके राय एवं एटक नेता लखनलाल महतो ने कहा कि हम लोगों ने कहा कि कोर्ट ने यह नहीं कहा है कि नियोजन नहीं मिलेगा.