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आइआइटी आइएसएम में अब नो पावर कट

धनबाद: आइआइटी (आइएसएम) में नवनिर्मित बिजली सब-स्टेशन ने काम करना शुरू कर दिया है. डीवीसी से सीधे बिजली मिल रही है. अब पावर कट नहीं होता. वोल्टेज भी एक समान रह रहा है. स्टूडेंट्स, टीचर्स एवं कर्मचारियों को बिजली संकट से राहत है. सब स्टेशन ने एक जुलाई से बिजली की आपूर्ति शुरू कर दी […]

धनबाद: आइआइटी (आइएसएम) में नवनिर्मित बिजली सब-स्टेशन ने काम करना शुरू कर दिया है. डीवीसी से सीधे बिजली मिल रही है. अब पावर कट नहीं होता. वोल्टेज भी एक समान रह रहा है. स्टूडेंट्स, टीचर्स एवं कर्मचारियों को बिजली संकट से राहत है. सब स्टेशन ने एक जुलाई से बिजली की आपूर्ति शुरू कर दी और तब से अब तक एक सेकेंड के लिए भी बिजली की कटौती नहीं हुई है.


इससे पहले नियमित विद्युतापूर्ति नहीं होने के कारण पढ़ाई से लेकर प्रोजेक्ट वर्क तक प्रभावित होता रहा है. संस्थान प्रबंधन भी विद्युत झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की व्यवस्था से छुटकारा पाना चाहता था. 30 जून निगम से संस्थान को विद्युत की आपूर्ति का अंतिम दिन था. संस्थान परिसर में लाहबनी, धैया की ओर 33 केवी के बिजली सब स्टेशन का निर्माण किया जा रहा था. निर्माण से लेकर सब-स्टेशन की घेराबंदी तक में संस्थान प्रबंधन को विरोध का सामना करना पड़ा था.
डीवीसी से सीधी बिजली : संस्थान में मध्य विद्यालय धैया के निकट नव निर्मित सब स्टेशन में भितिया से लाइन खींची गयी है. यह दूरी लगभग आठ किलोमीटर है. छह किलोमीटर तार खींचने का कार्य फरवरी महीने में ही पूरा हो गया था. इसके बाद डीवीसी ने चार्ज भी किया था. कार्य में आ रहे अड़चनों के कारण नये सब स्टेशन से विद्युत की सप्लाइ में देरी हुई.
घटेगा संस्थान का बिल : सीधे डीवीसी से बिजली लेने से केवल नियमित विद्युत आपूर्ति का ही लाभ संस्थान को नहीं मिलेगा, बल्कि सालाना करोड़ों रुपये भी बचेंगे. झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड से बिजली के एवज में संस्थान को महीने के करीब 65 लाख रुपये भुगतान करने पड़ते थे. अनुमान के मुताबिक अब सीधे डीवीसी से विद्युत की आपूर्ति होने पर संस्थान का बिजली का बिल भी लगभग एक-तिहाई रह जायेगा.
सब-स्टेशन की क्षमता तीन एमवीए
संस्थान में बने सब-स्टेशन की क्षमता तीन एमवीए (3000 केवीए) है. सब स्टेशन में दो सर्किट लाइन है और दोनों चालू है. एक को स्टैंड बाइ में रखा गया है, ताकि एक में गड़बड़ी होने पर अविलंब दूसरे सर्किट से विद्युत आपूर्ति शुरू की जा सके. ट्रांसफॉर्मर जरूरत अनुसार लगाये गये हैं.
कितनी आयी लागत
संस्थान को सब स्टेशन निर्माण की लागत लगभग दो करोड़ रुपये आयी. इसके अलावा डीवीसी को बिजली बनाने में सात करोड़ रुपये खर्च हुए. कांड्रा (भितिया) से बिजली लाने से लेकर संस्थान में सब स्टेशन के निर्माण में लगभग नौ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. सब स्टेशन में 33 हजार वोल्ट को 11 हजार वोल्ट में बदला जाता है. फिर छोटे ट्रांसफॉर्मर से 440 वोल्ट में बदल कर सप्लाई की जाती है. सब स्टेशन शुरू होने से पहले तक बारिश-आंधी आयी नहीं कि बिजली कट जाती थी.

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