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‘मरीज और डॉक्टर के बीच दूरी’ पर परिचर्चा में बोले डॉक्टर 75 प्रतिशत डॉक्टर होते हैं हिंसा के शिकार

धनबाद : धनबाद प्रसूति एवं प्रसव एसोसिएशन की ओर से स्थानीय एक होटल में ‘मरीज और डॉक्टरों के बीच दूरी’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ शिवानी झा व डॉ एसके गुप्ता ने जज की भूमिका निभायी. संचालन सचिव डॉ साधना कुमारी ने किया. डॉ शिवानी झा ने कहा : […]

धनबाद : धनबाद प्रसूति एवं प्रसव एसोसिएशन की ओर से स्थानीय एक होटल में ‘मरीज और डॉक्टरों के बीच दूरी’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ शिवानी झा व डॉ एसके गुप्ता ने जज की भूमिका निभायी. संचालन सचिव डॉ साधना कुमारी ने किया.
डॉ शिवानी झा ने कहा : हम भगवान नहीं है, हम भी अपनों को खोते हैं. जब किसी मरीज की मौत होती है, तब डॉक्टर को भी काफी तकलीफ होती है. देखा जाता है कि हंगामा करने वाले अक्सर तीसरे लोग होते हैं. उन्हें मरीजों से कोई वास्ता नहीं होता है. आज चिकित्सकों को बचाने की जरूरत है. नहीं तो वह दिन दूर नहीं है, जब लोगों को चिकित्सक नहीं मिलेंगे. डॉ संगीता करण ने कहा : मरीज से काउंसेलिंग बेहद जरूरी है. इससे काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है.
डॉ अरुण अग्रवाल ने कहा : डॉक्टर्स को आपस में बेहतर तालमेल बनाना चाहिए, एक-दूसरे के पीछे लगना ठीक नहीं है. डॉ एसके दास ने मीडिया से लोगों को जागरूक करने की अपील की. कार्यशाला में डॉ वीएन चौधरी, डॉ गायत्री सिंह, डॉ नुपूर चंदन, डाॅ नेहा बजाज, डॉ नीतू सहाय आदि ने भी अपने विचार रखे.
हिंसा के शिकार डॉक्टरों की नहीं होती है मदद : चर्चा में डॉ साधना ने स्लाइड शो के दौरान चिकित्सक व चिकित्सा जगत से जुड़े कई तथ्य पेश किये. उन्होंने बताया कि इमरजेंसी सहित अन्य केस में देखा गया है कि 75 प्रतिशत डॉक्टर हिंसा के शिकार होते हैं. उन्हें शारीरिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है या उनके प्रति खराब भाषा का प्रयोग किया जाता है. जबकि कोई भी चिकित्सक यह नहीं चाहता है कि उसका केस खराब हो. हिंसा के शिकार डॉक्टर को तत्काल मदद भी नहीं मिल पाती है, इससे उनका मनोबल गिरता है.
डॉक्टर को क्रिमिनल की तरह नहीं बतायें ़: डॉक्टरों ने कहा कि मीडिया डॉक्टरों की छवि दूसरी तरह से पेश कर देता है. आम लोगों तक डॉक्टर्स की छवि क्रिमिनल की तरह हो जाती है. इससे काफी पीड़ा होती है. कुछ झोलाछाप की वजह से भी बदनामी होती है. ऐसे पर कार्रवाई होनी चाहिए. जो भी घटना होती है, उसके लिए डॉक्टर्स समुदाय से भी बातचीत होनी चाहिए.
डॉक्टर भी होते हैं जिम्मेवार : चिकित्सकों ने कहा कि मरीज और डॉक्टरों के बीच दूरी का एक बड़ा कारण डॉक्टर्स भी हैं. कुछ डॉक्टर एक-दूसरे से कंपिटिशन में होते हैं, इस कारण एक दूसरे से मेल नहीं करते हैं. दूसरे की शिकायत कर देते हैं. डॉक्टर के खिलाफ मरीज को भड़का देते हैं.
इंजीनियर, पुलिस पर दोष नहीं देता कोई
परिचर्चा में यह बात भी सामने आयी कि एक इंजीनियर पुल खराब बना देता है, सैकड़ों की जान ले लेता है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. लोग उसे कुछ नहीं कहते हैं. लेकिन एक डॉक्टर से किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो उसकी फजीहत कर दी जाती है. पुलिस के सामने मर्डर हो जाता है तो कुछ नहीं होता. एक भी आदमी पुलिस से नहीं उलझता है, क्योंकि उसके लिए कानून बने होते हैं. लेकिन डॉक्टर्स के लिए कोई कानून नहीं है. इसलिए जिसे मन करता है, वह पिटाई कर देता है, उलझ जाता है.

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