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पीएमसीएच का प्रसूति विभाग मानकों पर खरा नहीं
धनबाद : पीएमसीएच का स्त्री रोग व प्रसूति विभाग मानकों पर खरा नहीं है. साफ-सफाई से लेकर चीजें व्यवस्थित नहीं हैं. आवश्यक कर्मी व सामान भी नहीं है. प्रमंडल का एकमात्र मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद प्रसूति रोग में बेड की संख्या कम है. ये बातें नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर, दिल्ली (एनएचएसआरसी) की टीम […]
धनबाद : पीएमसीएच का स्त्री रोग व प्रसूति विभाग मानकों पर खरा नहीं है. साफ-सफाई से लेकर चीजें व्यवस्थित नहीं हैं. आवश्यक कर्मी व सामान भी नहीं है. प्रमंडल का एकमात्र मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद प्रसूति रोग में बेड की संख्या कम है. ये बातें नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर, दिल्ली (एनएचएसआरसी) की टीम के हेड डॉ हिमांशु भूषण ने शनिवार की देर शाम पीएमसीएच के निरीक्षण के दौरान कही. एनएचएसआरसी की सात सदस्यीय टीम मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी को लेकर धनबाद पहुंची है. इससे पहले टीम ने दिन में बाघमारा व कतरास के स्वास्थ्य केंद्रों का जायजा लिया. डॉ भूषण ने बताया कि नियमानुसार पीएमसीएच में स्त्री रोग में 200 सीटें होनी चाहिए. हालंकि यहां मात्र चार चिकित्सक ही हैं, ऐसे में लगातार सेवा देना गंभीर चुनौती है.
रविवार को राज्य सरकार से मिलकर टीम इस मुद्दे पर चर्चा करेगी. टीम में डॉ भूषण के अलावा, प्रणव, डॉ राजबीर थे. मौके पर सिविल सर्जन डॉ सी श्रीवास्तव, पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ अरुण कुमार, अधीक्षक डॉ के विश्वास, डॉ प्रतिभा राय, डॉ आलोक विश्वकर्मा आदि मौजूद थे.
झारखंड में मातृ व शिशु मृत्यु दर 1000 पर 208 : डॉ भूषण ने बताया कि देश में दस ऐसे राज्य चुने गये हैं, जहां मातृ व शिशु मृत्यु दर ज्यादा है. इसमें झारखंड, असम, मध्य प्रदेश शामिल हैं. झारखंड में एक हजार पर मातृ-शिशु मृत्यु दर 208 है. इसे कम करना है. इसके लिए जहां डिलिवरी प्वाइंट है, उसे दुरुस्त करना है. डॉक्टरों की कमी है, तो हर जगह केंद्र खोलने से अच्छा है, केंद्र कम हों, लेकिन डॉक्टर 24 घंटे उपलब्ध हों. ताकि डॉक्टर के अभाव में किसी की जान नहीं जायें.
बेड एक्यूपेंसी के लिए नहीं भेजा प्रपोजल : डॉ भूषण ने बताया कि किसी भी केंद्र या अस्पताल के लिए 75 प्रतिशत बेड एक्यूपेंसी जरूरी हो गयी है. तभी विभिन्न तरह की सहायता मिलती है. हाल के दिनों में यहां बेड एक्यूपेंसी बढ़ी है, लेकिन इसके लिए स्त्री रोग की ओर से सरकार को कोई प्रपोजल कभी नहीं भेजा गया है. इस बार प्रपोजल के लिए कहा गया है. उन्होंने बताया कि हर दो माह के बाद निरीक्षण किए गये जगह का दोबारा निरीक्षण किया जायेगा. सुधार कितना हुआ यह देखा जायेगा.
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