जेम्स एवं जेवरात पर जीएसटी तीन प्रतिशत व कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत जीएसटी है. जैसा कि हम जानते हैं कि जेवरात भारतीय नारी के सौंदर्य में चार चांद लगाता है आैर समय आने पर रक्षा कवच का काम करता है. जेवरात पर लगभग 12.43 प्रतिशत कुल कर, जिसमें कस्टम ड्यूटी, उत्पादन कर एवं मूल्य वर्द्धित कर निहित है. जीएसटी लागू के बाद जेवरात पर 15.67 प्रतिशत कर लगेगा.
जेवरात लगभग 3.24 प्रतिशत महंगे हो जायेंगे. सौंदर्य की वस्तु होने के कारण डिजाइन में बदलाव होने के कारण बार-बार अर्थात पुराने जेवरात देकर नये जेवरात खरीदे जाते हैं, जिससे सीधा-सीधा तीन प्रतिशत जीएसटी का नुकसान उपभोक्ताओं को झेलना पड़ेगा. कुछ व्यापारियों में इस बात की भ्रांति है कि पुराने जेवरात खरीदने पर जीएसटी देय होगा या नहीं. किसी उपभोक्ता से जेवरात खरीदने पर जीएसटी देय नहीं होगा, बल्कि किसी व्यापारी से पुराने जेवरात खरीदने पर जीएसटी देय होगा. जीएसटी लागू होने के बाद वैसे उपभोक्ता जो जेवरात में केवल निवेश करना चाहते हैं, उनका रूझान स्वर्ण बांड की तरफ बढ़ सकता है. क्योंकि स्वर्ण बांड पर निवेश से तीन प्रतिशत जीएसटी की बचत होगी. पुराने जेवरात देकर नये जेवरात लेने वालों पर भी जीएसटी की मार से व्यापारी पर काफी फर्क पड़ने की संभावना है. फिलवक्त कच्चे सोने से जेवरात बनाने पर किसी प्रकार का कर नहीं है, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद जेवरात की बनवाई पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. जीएसटी के लागू होने के बाद देश के बाहरवाले उपभोक्ताओं पर कागजी खानापूर्ति अधिक होने के कारण आयात एवं निर्यात पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.