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27 साल पहले मिली थी 266 एकड़ जमीन, जीएम गंभीर, अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू

भौंरा : गैरआबाद खाता की 266 एकड़ जमीन वर्ष 1990 में अविभाजित बिहार की सरकार से बीसीसीएल प्रबंधन को मिली थी. चंदनकियारी के जिस झरना मोहाल कुटाली बीटा इलाके में यह जमीन है, वह वर्तमान में बीसीसीएल के इस्टर्न झरिया एरिया (इजे एरिया) के अधिकार क्षेत्र में पड़ता है. बीते 27 वर्षों के दौरान इजे […]

भौंरा : गैरआबाद खाता की 266 एकड़ जमीन वर्ष 1990 में अविभाजित बिहार की सरकार से बीसीसीएल प्रबंधन को मिली थी. चंदनकियारी के जिस झरना मोहाल कुटाली बीटा इलाके में यह जमीन है, वह वर्तमान में बीसीसीएल के इस्टर्न झरिया एरिया (इजे एरिया) के अधिकार क्षेत्र में पड़ता है. बीते 27 वर्षों के दौरान इजे एरिया प्रबंधन इस जमीन के प्रति बेखबर रहा. इसका फायदा उठाते हुए स्थानीय कुछ लोगों ने बीसीसीएल की जमीन पर अतिक्रमण शुरू कर दिया. इधर, इजे एरिया के वर्तमान महाप्रबंधक बीसी नायक को जब इस संबंध में सूचना मिली, तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई शुरू की. इजे एरिया प्रबंधन की ओर से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है. इसे भूमि माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है.
जारी है अतिक्रमण : झरना गांव निवासी लखीराम मांझी द्वारा बीसीसीएल की करीब 17 डिसमिल जमीन पर अवैध कब्जा कर चारदीवारी एवं मकान बनाने का काम शुरू है. इसकी सूचना जब महाप्रबंधक श्री नायक को मिली, तो उन्होंने तत्काल भू-संपदा पदाधिकारी शशि कुमार को भेजकर अवैध निर्माण रोकवाने को कहा. शशि कुमार ने अवैध कब्जा कर रहे लखीराम मांझी को बुलाकर जब जमीन के दस्तावेज मांगे, तो वह कोई भी कागज नहीं दिखा सका. लखीराम मांझी ने कहा कि ‘चार-पांच दिनों के बाद बंदोबस्ती के कागज दिखायेंगे.’ यहां सुदामडीह सॉफ्ट माइंस में कार्यरत एक बीसीसीएल कर्मी द्वारा भी 10 डिसमिल जमीन पर मकान बना कर चारदीवारी दी गयी है. प्रबंधन की ओर से लखीराम मांझी एवं बीसीसीएल कर्मी पर अमलाबाद ओपी में मुकदमा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इसके अलावा 266 एकड़ जमीन पर रोड किनारे कई लोग गुमटी एवं दीवार देकर अतिक्रमण कर रहे हैं. कई लोग कब्जा करने की तैयारी में हैं.
स्कूल का रास्ता बंद : लखीराम मांझी द्वारा बीसीसीएल की जमीन की घेराबंदी करने से श्री श्री रामदास शिशु विद्या मंदिर स्कूल का रास्ता बंद हो गया है. इससे छात्र-छात्राएं को स्कूल से घूमकर झरना बस्ती की ओर से जाना पड़ता है.
कटघरे में भू-संपदा विभाग
एक ओर झरिया के अग्नि व भू-धंसान प्रभावित खतरनाक इलाकों में बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाने को लेकर चल रही पुनर्वास योजना के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है. झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (जेआरडीए) की ओर से जमीन का रोना रोया जाता है. एक ओर बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा जमीन नहीं होने की बात कही जाती है, दूसरी ओर कंपनी की 266 एकड़ जमीन यूं ही पड़ी हुई है. बीसीसीएल में भू-संपदा विभाग में एक अच्छी-खासी फौज रहने के बाद भी कंपनी की जमीन पर अवैध कब्जा का सिलसिला जारी रहता है. इस तरह के मामले में बीसीसीएल का भू-संपदा विभाग भी कटघरे में है.
झारखंड सरकार ले सकती है जमीन
चंदनकियारी के झरना मोहाल कुटाली बीटा स्थित बीसीसीएल की 266 एकड़ जमीन क्या कंपनी प्रबंधन के हाथ से निकल सकती है? क्या इस जमीन को झारखंड सरकार अपने कब्जा में ले सकती है? ये सवाल खड़े हैं. कारण प्रावधान के अनुसार जिस उद्देश्य के लिए औद्योगिक कंपनियां जमीन लेती हैं और पांच-सात साल तक उस प्रोजेक्ट पर काम नहीं करती हैं, तो जमीन स्वत: भू-स्वामी के अधीन हो जाती है. चूंकि 27 वर्षों में बीसीसीएल ने इस 266 एकड़ जमीन पर कोई भी काम नहीं किया है. इससे यह जमीन झारखंड सरकार के खाता में जा सकती है.
बननी थी टाउनशिप
चंदनकियारी के झरना मोहाल कुटाली बीटा स्थित गैरआबाद खाता की जमीन बिहार सरकार के भू-राजस्व विभाग द्वारा स्थांतारित की गयी थी. जमीन के एवज में बीसीसीएल द्वारा तत्कालीन बिहार सरकार को लाखों रुपये का भुगतान किया था. इस जमीन पर टाउनशिप बनाकर बीसीसीएल ने भौंरा, लोदना, बस्ताकोला व बोर्रागढ़ के मजदूरों को बसाने की योजना थी. 27 वर्ष बीत जाने के बाद भी टाउनशिप का कार्य तो शुरू नहीं हुआ, मगर उक्त जमीन पर अवैध निर्माण कार्य होने लगा.

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