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शहर को पानी देने में निगम का पूरा सिस्टम फेल : पीएचइडी एइ

देवघर : शहरी क्षेत्र में समुचित ढंग से जलापूर्ति व्यवस्था नहीं हो पाने के लिए नगर निगम के अभियंता सह जल प्रभारी समीर सिन्हा ने पीएचइडी के मैकेनिकल विंग को जिम्मेवार ठहराया था. इस पर पीएचइडी ने आज कड़ा एतराज जताया है. पीएचइडी मैकेनिकल विंग के सहायक यांत्रिक अभियंता रूदल मंडल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी […]

देवघर : शहरी क्षेत्र में समुचित ढंग से जलापूर्ति व्यवस्था नहीं हो पाने के लिए नगर निगम के अभियंता सह जल प्रभारी समीर सिन्हा ने पीएचइडी के मैकेनिकल विंग को जिम्मेवार ठहराया था. इस पर पीएचइडी ने आज कड़ा एतराज जताया है. पीएचइडी मैकेनिकल विंग के सहायक यांत्रिक अभियंता रूदल मंडल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सहयोग नहीं करने की बात गलत है. शहरी जलापूर्ति में नगर निगम का पूरा सिस्टम फेल हो गया है.
उन्होंने कहा कि पंचायती राज अधिनियम लागू हो जाने के पश्चात सरकार ने गाइड लाइन जारी कर शहरी जलापूर्ति योजना को शहरी निकायों के अधीन तथा ग्रामीण जलापूर्ति योजना को ग्राम स्वच्छता जल समिति के अधीन बताया है, जो पूरी तरह से स्पष्ट है. सरकार के आदेश के अनुपालन के तहत देवघर शहरी जलापूर्ति योजना अब नगर निगम के अधीन संचालित हो रही है. जलापूर्ति योजना में मरम्मत व संपोषण का कार्य पूर्ण रूप से नगर निगम देवघर ही कर रहा है.

सहायक अभियंता ने बताया कि पीएचइडी का यांत्रिक प्रभाग परिचालन में उनका तकनीकी सहयोग करता आ रहा है. यही वजह है कि श्रावणी मेला 2016 में समुचित जलापूर्ति भी यांत्रिक प्रभाग की तत्परता दिखाये जाने के कारण ही संभव हो सका. श्रावणी मेला के दौरान यांत्रिक प्रभाग की अोर से कराये गये 52 लाख रुपये के कार्यों में से निगम द्वारा 22 लाख रुपये का भुगतान भी अब तक लंबित है. देवघर शहर में जल संयोजन व जल कर की राशि भी नगर निगम की अोर से वसूली जाती है. कनेक्शन भी निगम ही देता है.

मरम्मत व संपोषण मद में विभाग द्वारा यांत्रिक प्रभाग को कोई भी निधि उपलब्ध नहीं कराया गया है. ऐसे में नगर निगम अपनी विफलता छिपाने के लिए यांत्रिक प्रभाग पर दोषारोपण कर रहा है, जो सही नहीं है. यांत्रिक प्रभाग द्वारा समय-समय पर जो तकनीकी जानकारी उपलब्ध करायी जाती है, निगम की अोर से उसकी भी अनदेखी की जाती है. बतातें चलें कि विभाग के प्रधान सचिव व अभियंता प्रमुख के निर्देशानुसार अब मैकेनिकल विंग निगम को सपोर्ट नहीं कर सकेगा. दो माह तक निगम वाटर सप्लाई केंद्र में अनुबंध पर या स्थायी तौर पर अभियंता व कर्मी की नियुक्ति कर ले, नहीं तो दो माह बाद मैकेनिकल विंग जलापूर्ति कार्य में किसी तरह का सहयोग नहीं कर सकेगा.

श्रावणी मेला 2016 में लिया गया था काम, अबतक पूरा भुगतान नहीं
सहायक अभियंता ने बताया कि पिछले वर्ष श्रावणी मेला से पूर्व नगर निगम प्रबंधन की अोर से पीएचइडी ने आवश्यक यंत्रों की मरम्मत से लेकर जलापूर्ति योजना को संचालित करने के लिए तत्कालीन सीइअो अवधेश पांडेय व उनकी टीम के निर्देश पर दो अलग-अलग इस्टीमेट(एक 43 लाख का व दूसरा नौ लाख का था) बनाकर कार्य संचालित किया. मगर श्रावणी मेला गुजर जाने के बाद उस मद की राशि के भुगतान में टाल -मटोल किया जाने लगा. काफी मशक्कत के बाद मात्र 30 लाख की राशि का भुगतान किया गया. शेष 22 लाख का अब तक भुगतान नहीं किया गया है.

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