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पढ़ाई के साथ बच्चों को खेलने-कूदने की स्वतंत्रता दें

प्रभात खबर की पहल. संत जेवियर्स हाइस्कूल में ‘बचपन बचाओ’ पर कार्यक्रम, एक्सपर्ट ने कहा देवघर : प्रभात खबर के तत्वावधान में ‘बचपन बचाओ’ कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार को संत जेवियर्स हाइस्कूल सातर में किया गया. कार्यक्रम में बच्चों के बचपन को सहेजने एवं उसे संरक्षित रखने के लिए एक्सपर्ट एएस काॅलेज के प्राचार्य डॉ […]

प्रभात खबर की पहल. संत जेवियर्स हाइस्कूल में ‘बचपन बचाओ’ पर कार्यक्रम, एक्सपर्ट ने कहा

देवघर : प्रभात खबर के तत्वावधान में ‘बचपन बचाओ’ कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार को संत जेवियर्स हाइस्कूल सातर में किया गया. कार्यक्रम में बच्चों के बचपन को सहेजने एवं उसे संरक्षित रखने के लिए एक्सपर्ट एएस काॅलेज के प्राचार्य डॉ फणिभूषण यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश प्रसाद, संत जेवियर्स हाइस्कूल सातर के प्राचार्य सह निदेशक डीआर सिंह, गीता देवी डीएवी पब्लिक स्कूल सातर के प्राचार्य रमेशचंद्र शर्मा,
एक्सपर्ट सह टीचर किड्स वर्ल्ड प्ले स्कूल की वंदना चौधरी तथा एएस कॉलेज देवघर के डॉ बीके चौधरी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये. एक्सपर्ट ने कहा कि बच्चों पर न सिर्फ पढ़ाई के लिए दबाव बनाना चाहिए, बल्कि उन्हें भी स्वतंत्रता का अधिकार दें. मोबाइल व टीवी से दूर रखें. माता-पिता व गार्जियन बच्चों से संवाद करें तथा उनकी जरूरतों पर गौर करें. बच्चों पर अपनी आकांक्षाएं नहीं थोपें. बच्चों को खोजी प्रवृत्ति का बनायें और उन्हें सवाल पूछने का मौका दें
. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके बचपन को सहेजना बेहद जरूरी है. मंच संचालन प्रभात खबर देवघर के यूनिट हेड बादल चंद्र गोरायं ने किया.
छात्राओं ने किया अतिथियों का स्वागत
बचपन बचाओ कार्यक्रम में मौजूद एक्सपर्ट के स्वागत में संत जेवियर्स हाइस्कूल सातर की छात्राओं ने गीत प्रस्तुत किया. मधुर संगीत पर छात्राओं ने गीत प्रस्तुत कर समां बांध दिया. इसमें अनुष्का नीरज, श्रुति मिश्रा, कृति कश्यप, नीलम राज, श्रेया सुमन, सुप्रिया झा, प्रिया, स्वाति, श्रद्धा, मानसी, राज रानी, सृष्टि अपूर्वा शामिल थीं. इस अवसर पर स्कूल की प्राइमरी इंचार्ज पूजा गुप्ता, टीचर प्रज्ञा कुमारी, टीचर हेली अग्रवाल, आलोक आदि
मौजूद थे.
माता-पिता व अभिभावक बच्चों के साथ संवाद अनिवार्य रूप से करें
सर्वांगीण विकास के लिए बच्चों के बचपन को सहेजे
बच्चों को अधिकार जरूर दें : वंदना चौधरी
एक्सपर्ट सह टीचर किड्स वर्ल्ड वंदना चौधरी ने कहा कि किसी भी बच्चे का बचपन मूल चीज होता है, उन्हें अधिकार जरूर मिलना चाहिए. खेलने-कूदने के उम्र में बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है. अभिभावक भी बच्चों से नहीं पूछते हैं कि वो क्या करना चाहते हैं. किस क्षेत्र में उनकी रूचि है. क्या बनना चाहते हैं. टीचर व अभिभावक से मेरा अनुरोध है कि वो बच्चों को फ्रीडम दें. सभी बच्चों का ब्रेन एक समान काम नहीं करता है. स्कूलों में भी कमजोर बच्चों को बोलने एवं बातों को रखने का मौका दिया जाना चाहिए. ताकि कमजोर बच्चे भी अपने को उपेक्षित महसूस नहीं करें. पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें खेलने की पूरी आजादी दें. तभी उनका शारीरिक विकास के साथ-साथ उनका बचपन संरक्षित रह सकता है.
अपनी आकांक्षाएं न थोपें बच्चों पर : प्रो बीके चौधरी
एएस कॉलेज के प्राध्यापक प्रो बीके चौधरी ने कहा कि शिक्षक जल्दी-जल्दी सिलेबस पूरा करना चाहते हैं. गार्जियन अपनी आकांक्षाएं बच्चों पर थोपते हैं. इससे बच्चों पर ज्यादा दबाव बनता है. आज तीन साढ़े तीन वर्ष के बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है. बच्चे क्या सोचते हैं. इस बारे में कोई ध्यान नहीं देता है. टीचर व गार्जियन को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा. सरकार पर भी दबाव बनाना चाहिए कि कम उम्र के बच्चों का दाखिला स्कूलों में नहीं लिया जाये. अगर बच्चों के बचपन को अभी भी नहीं सहेजा गया तो आने वाले समय में नकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा. बच्चों में अगर हौसला होगा तो कामयाबी जरूरी मिलेगी.
बचपन बचाओ कार्यक्रम में एक्सपर्ट ने कहा
बच्चों के बचपन को सहेजना बेहद जरूरी : डॉ फणिभूषण
एएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ फणिभूषण यादव ने कहा कि प्रभात खबर सामाजिक सरोकार से जुड़ी समस्याओं को गंभीरता से उठाता है. बचपन बचाओ अभियान इसी का हिस्सा है. इसके लिए प्रभात खबर को ढेरों धन्यवाद. बच्चों के बचपन बचाने का दायित्व आज अभिभावकों पर है. बच्चों को जबरदस्ती मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई की ओर धकेल रहे हैं. आज बच्चों को प्ले स्कूलों में भेजने का फैशन चल पड़ा है. बच्चों के बचपन को सहेजना आज बेहद जरूरी हो गया है, इसलिए गार्जियन बच्चों को रूचि के हिसाब से आगे बढ़ने दें. भार स्वरूप बच्चों पर कोई काम नहीं थोंपे, वरना इसका नकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा.
आप बच्चे भी माता-पिता की बातों को माने : डीआर सिंह
संत जेवियर्स हाइस्कूल सातर के प्राचार्य सह निदेशक डीआर सिंह ने कहा कि प्रभात खबर द्वारा शुरू किया गया बचपन बचाओ अभियान अच्छा है. बच्चों के बचपन को सहेजना बेहद जरूरी है. तंजानिया में दो वर्ष तक रहा. आप जानकर आश्चर्य करेंगे कि वहां बच्चों के दाखिले के लिए सात वर्ष की उम्र सीमा निर्धारित है. लेकिन, यहां दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को स्कूलों में भेज दिया जाता है. इससे बच्चों पर ज्यादा बोझ पड़ता है. इस प्रकार बच्चों का बचपन नहीं सहेजा जा सकता है. गार्जियन की भी काफी जिम्मेदारी है, लेकिन आप बच्चों को अपने माता-पिता व अभिभावकों की बातों को मानना होगा.
बच्चों पर पढ़ाई का कम बोझ दें : डॉ राजेश प्रसाद
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश प्रसाद ने कहा कि बच्चों के ब्रेन का डेवलपमेंट एक वर्ष में 90 फीसदी हो जाता है. 10 फीसदी ब्रेन का ग्रोथ दो से पांच वर्ष के बीच होता है. आज बच्चों पर इतना प्रेशर है कि स्कूल जाने के वक्त उल्टी करते हैं. लगातार टीवी देखते हैं. मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं. उनसे ये सब छीन लिया जाये, तो उनका व्यवहार काफी बदल जाता है. यह मेंटल प्रॉब्लम को दर्शाता है. इससे उनकी मेमोरी पावर भी घटती चली जाती है. इसे रोकना होगा. बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम दें. टीबी व मोबाइल से दूर रखें. माता-पिता व गार्जियन ज्यादा ध्यान दें. स्कूल व ट्यूशन के बाद बच्चों को खेलने दें, वरना आने वाला समय परेशानी से भरा होगा.
जिसके मन पर नियंत्रण नहीं होगा वही बचपना है : आरसी शर्मा
गीता देवी डीएवी पब्लिक स्कूल सातर के प्राचार्य आरसी शर्मा ने कहा कि जिनके मन पर नियंत्रण हो गया वो बुर्जुगीयत, जिनके मन पर नियंत्रण नहीं रहा वही बचपना है. आज गार्जियन बच्चों का उम्र अधिक बता कर स्कूलों में दाखिला करा देते हैं. दबाव यहीं से बच्चों पर बढ़ जाता है. बच्चों से दादा-दादी व नाना-नानी का साथ छूटता जा रहा है. गार्जियन भी बच्चों को पढ़ाने के लिए ट्यूटर लगा देते हैं. ये छोटे बच्चों के लिए सही नहीं है. उनका बचपन गुम हो रहा है, इसलिए आप पहले अच्छा इंसान बनें. ट्यूशन को छोड़ें, खोजी प्रवृति का बनें तथा सवाल पूछें. तभी आपके ब्रेन का सही विकास होगा. आप बच्चे सिर पर बोझ लेकर कोई काम नहीं करें. आप अपने बचपन को अपने रूप से जीएं.

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