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मैट्रिक व इंटर के खराब रिजल्ट पर विभाग ने फिर मांगी रिपोर्ट

देवघर : झारखंड अधिविद्य परिषद द्वारा वर्ष 2016 में आयोजित वार्षिक मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम औसत से कम होने को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने रिपोर्ट मांगा था. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय देवघर द्वारा विभाग को भेजा गया रिपोर्ट अस्पष्ट होने के कारण विभाग द्वारा जिलास्तर पर की गयी कार्रवाई से संबंधित […]

देवघर : झारखंड अधिविद्य परिषद द्वारा वर्ष 2016 में आयोजित वार्षिक मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम औसत से कम होने को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने रिपोर्ट मांगा था. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय देवघर द्वारा विभाग को भेजा गया रिपोर्ट अस्पष्ट होने के कारण विभाग द्वारा जिलास्तर पर की गयी कार्रवाई से संबंधित प्रतिवेदन अनिवार्य रूप से मांगा है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग माध्यमिक शिक्षा निदेशालय झारखंड के निदेशक द्वारा पत्र जारी कर जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिया गया है.

विभागीय पत्र के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय द्वारा प्रतिवेदन रिपोर्ट विभाग को भेजने की तैयारी की जा रही है. देवघर के स्कूलों का मैट्रिक का परीक्षा परिणाम औसत से कम रहा.

विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो मैट्रिक परीक्षा 2016 में देवघर के एक दर्जन से अधिक स्कूलों का रिजल्ट 50 फीसदी से भी कम रहा. सिर्फ दो विद्यालय का परीक्षा परिणाम 100 फीसदी रहा, चार विद्यालय का परीक्षा परिणाम 91 फीसदी से 99.99 फीसदी रहा, 12 विद्यालय का परीक्षा परिणाम 81 से 90 फीसदी रहा, 21 विद्यालय का परीक्षा परिणाम 71 से 80 फीसदी रहा, 29 विद्यालय का परीक्षा परिणाम 61 से 70 फीसदी रहा, 28 विद्यालय का परीक्षा परिणाम 51 से 60 फीसदी रहा एवं 17 विद्यालय का परीक्षा परिणाम 41 से 50 फीसदी
रहा था.
क्या-क्या होना है कार्रवाई
वार्षिक माध्यमिक व इंटरमीडिएट परीक्षा में खराब प्रदर्शन करने वाले विद्यालय के शिक्षक, जिनके विषय का रिजल्ट 20 फीसदी से कम हुआ है. उनके कम से कम तीन वेतन वृद्धि पर रोक के साथ-साथ निंदन की सजा निर्धारित था.
जिन शिक्षकों के विषय का रिजल्ट 30 फीसदी से कम हुआ है, उनके दो वेतन वृद्धि पर रोक के साथ-साथ निंदन की सजा निर्धारित था.
जिनके विषय का रिजल्ट 40 फीसदी से कम हुआ है. उनके एक वेतन वृद्ध पर रोक व निंदन की सजा का प्रावधान किया गया था.
शिक्षकों पर की गयी कार्रवाई उनकी सेवा पुस्तिका में दर्ज किया जाना था.
जिस विद्यालय में विद्यार्थियों के पास का प्रतिशत 20, 30 एवं 40 फीसदी है. वहां के प्रधानाध्यापाकों पर भी क्रमश: तीन, दो एवं एक वेतन वृद्धि पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया था.
तबादला का भी है निर्णय
शहरी क्षेत्र के स्कूल में वर्षों से कार्यरत शिक्षकों का स्थानांतरण सुदूर गांव के स्कूलों में किया जाना था.
वैसे स्कूल जिसका वार्षिक मैट्रिक व इंटर का रिजल्ट 40 फीसदी से कम हुआ है. उनके प्रधानाध्यापक व संबंधित विषय के शिक्षकों का स्थानांतरण सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में किया जाना था.
शहरी क्षेत्र के वैसे स्कूल जिनका परीक्षा परिणाम 40 फीसदी से कम हुआ था. वहां के शिक्षक 10 वर्ष से विद्यालय में कार्यरत है. उनका भी स्थानांतरण सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में किया जाना था.
हाइस्कूलों में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों का पदस्थापन करने को कहा गया था. वैसे विद्यालय, जहां शिक्षक अधिक है. वहां से शिक्षकों का स्थानांतरण किया जाना था.
प्लस टू उच्च विद्यालय के वोकेशनल शिक्षा के अनुदेशक, प्रयोगशाला सहायक व लिपिक जो दस वर्षों से शहरी क्षेत्र के स्कूलों में कार्यरत हैं. उनका स्थानांतरण ग्रामीण स्कूलों में करने का आदेश जारी किया गया था.
‘खराब रिजल्ट पर विषयवार समीक्षा किया जा रहा है. एक सप्ताह के अंदर पुन: पूरी रिपोर्ट विभाग को भेज दिया जायेगा. सेकेंडरी एवं प्लस टू स्कूल के शिक्षक जवाबदेह हैं’
– उदय नारायण शर्मा, जिला शिक्षा पदाधिकारी देवघर.

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