उसका उद्देश्य केवल कालेधन की उगाही ही नहीं है, बल्कि बैंक के पास जो परिसंपत्ति है, उसका अधिक से अधिक संग्रह होना है. इससे अर्थव्यवस्था का सही-सही लाभ आमजन तक पहुंच सकेगा. सामाजिक विषयों में अर्थशास्त्र रानी की भूमिका अदा करती है. एनपीए के कारण बैंक दिवालिया न हो जाये, इसके लिए यह कैशलैस व्यवस्था अत्यंत उपयोगी है.
प्राचार्य डॉ हांसदा ने कहा कि कैशलेस के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त किया जा सकता है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जटाही शाखा के बैंक प्रबंधक श्वेता झा ने कैशलैस के बारे में आवश्यक जानकारी दी. प्रो उपेंद्र प्रसाद सिंह, प्रो अखिलेश तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये. सेमिनार में विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखे तथा उन्हें मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. धन्यवाद ज्ञापन प्रो ओपी राय तथा मंच संचालन प्राध्यापक डॉ सुमन कुमार व सहभागिता सेमिनार प्रभारी डॉ गोपाल पॉल ने किया. इस अवसर पर प्रो ओमप्रकाश राय, प्रो उपेंद्र सिंह, डॉ महेश कुमार सिंह, डॉ अखिलेश तिवारी, डॉ अंजनी शर्मा, डॉ अंजु ठाकुर, डॉ राखी रानी, डॉ मोनिका पत्रलेख, डॉ वीणा सिंह, प्रो शारदा रंजन शरण, प्रो अशोक कुमार झा, डॉ कमल किशोर सिंह, डॉ ललित देव, मीडिया प्रभारी डॉ संजय कुमार सहित काफी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे.