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सफलता: देवघर के युवा वैज्ञानिक का इसरो तक का सफर, इसरो के इनसेट मिशन में रजनीकांत का बड़ा योगदान

देवघर : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लगातार शोध की वजह से सेटेलाइट प्रक्षेपण के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है. भारत ने हाल के दिनों में चंद्रयान मिशन मार्स ऑर्बिटर मिशन, ऑर्बिट में 104 उपग्रहों के सफलता पूर्वक प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है. इस अभियान का हिस्सा रहे […]

देवघर : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लगातार शोध की वजह से सेटेलाइट प्रक्षेपण के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है. भारत ने हाल के दिनों में चंद्रयान मिशन मार्स ऑर्बिटर मिशन, ऑर्बिट में 104 उपग्रहों के सफलता पूर्वक प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है. इस अभियान का हिस्सा रहे देवघर के शिवपुरी मुहल्ला निवासी वरीय युवा वैज्ञानिक रजनीकांत विभिन्न संचार एवं इसरो के नेवीगेशन सेटेलाइट कार्यक्रम में काम किया. वर्ष 2005 में इसरो में बतौर वैज्ञानिक के रूप में काम शुरू करने वाले रजनीकांत पर देवघर के लोगों को गर्व है.

वर्तमान में संचार उपग्रह 8 को 2 इनसेट की श्रेणी (भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह) प्रणाली में दूरसंचार, टेलीविजन प्रसारण, सामाजिक अनुप्रयोग (टेली-शिक्षा, टेली-मेडिसिन आदि), मौसम पूर्वानुमान, आपदा चेतावनी और खोज और बचाव के लिए सेवाएं प्रदान करने के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. आईआरएनएसएस (भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली) भारत के अपने जीपीएस, बाद में यह एनएवीआइसी (नेविगेशन भारतीय नक्षत्र) के रूप में नामित किया गया था.

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सफल प्रक्षेपण के बाद राष्ट्र को समर्पित किया गया. यह आईआरएनएसएस-आइजी, एनएवीआइसी के सातवां और आखिरी उपग्रह है. वरीय युवा वैज्ञानिक रजनीकांत ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (पीटीयू) जालंधर से वर्ष 2003 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीइ स्नातक की डिग्री हासिल की. इससे पहले हाइस्कूल घोरमारा से मैट्रिक की परीक्षा तथा एसपी कॉलेज दुमका से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की. पिता विष्णुदेव सिंह प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर हाइस्कूल जसीडीह में कार्यरत हैं तथा मां रंभा देवी कुशल गृहिणी हैं.

महत्वपूर्ण उपलब्धि
युवा वैज्ञानिक रजनीकांत का राष्ट्रीय अनुप्रयोगों के लिए स्वतंत्र भारतीय उपग्रह आधारित पोजीशनिंग सिस्टम में अहम रोल रहा है. इसमें इनसैट -4 सीआर, जीसैट -12, जीएसएटी- 14, जीसैट -10, जीसैट -16, जीसैट -6 एवं जीसैट -18 शामिल है.

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