कहीं सोलर सिस्टम की हो गयी चोरी तो समिति का विवाद बना कारण
औसतन 12 लाख के बजट से शुरू की गयी थी योजना
सोलर सिस्टम पर खर्च किये गये औसतन पांच लाख
मधुपुर : प्रदेश सरकार ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर प्रत्येक वर्ष करोडो रूपये खर्च कर रही है. लेकिन यह योजना पूरी तरह फेल हो चुकी है. विभाग व ग्राम जल स्वच्छता समिति के विवाद में अधिकतर योजना सफेद हाथी बनी हुई है. कहीं सोलर सिस्टम चोरी होने से जलापूर्ति योजना बंद है तो कहीं स्वच्छता समिति के विवाद में योजना बंद है. कई जगह मशीन ही खराब है.
इन गांवो में चल रही योजना
ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत मधुपुर प्रखंड क्षेत्र में 16 गांवो में, मारगोमुंडा में 5 गांवो में व करौं में भी कई जगह करोडो खर्च कर पानी टंकी बना कर उपकरण लगाये गये है. मधुपुर में गडिया, राजदाहा, चकबगजोरा, कल्हाजोर, महुआटांड, पितौंजिया,गडिया, सरपत्ता, पटवाबाद, दलहा आदि जगहो में योजना पूरी तरह से बंद है. जबकि बुढैय, जाभागुढी, सिमरातरी, गोविंदपुर जैसे जगहो में कागजी रूप से योजना चालू है. इन योजनाओं की भी स्थिति खराब है. सभी जगह औसतन 12 लाख की लागत से योजना का निर्माण किया गया है. इसके अलावे सोलर सिस्टम से बिजली आपूर्ति के लिए प्रत्येक योजना पर 5 लाख औसतन खर्च किया गया है.
वहीं मारगोमुंडा प्रखंड के महजोरी, डुमरिया में भी योजना बंद है. दुधानी, कांगडो व भंडारो में योजना के चालु रहने के बाद विभाग द्वारा बतायी जा रही है. करौं में 6.37 करोड की लागत से जलापूर्ति योजना चालू की गयी है. यहां 550 लोगों ने वाटर कनेक्शन लिया है. वहीं मारगोमुंडा के चेतनारी में 2.38 करोड की लागत से जलापूर्ति योजना प्रारंभ किया गया है. इसमें 150 लोगों ने वाटर कनेक्शन लिया है. करौं के सालतर में करीब सवा तीन करोड की लागत से जलापूर्ति योजना का निर्माण किया जा रहा है.
क्या कहते है अभियंता
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता युगल प्रसाद सिंह ने कहा कि कुछ स्थानों पर मोटर खराब या सोलर सिस्टम के चोरी होने से जलापूर्ति योजना बंद है. वहीं कुछ जगहो पर ग्राम जल स्वच्छता समिति इन योजनाओं को सही ढंग से संचालित नहीं कर रही है. जिसके कारण बंद है. योजना को चालू करने के लिए सभी को सहयोग करना होगा.