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झारखंड में भी मिले मैथिली भाषियों को सुविधा: चौधरी
देवघर : यूं तो त्रेता युग से ही मैथिली के लिए आंदोलन शुरू हो गया था. एकीकृत बिहार के समय में ही मैथिली को राजभाषा का दर्जा दिलाने की मुहिम शुरू हो गयी थी. वर्ष 2003 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने देश में मैथिली को संवैधानिक भाषा का दर्जा प्रदान किया. 22 को लोकसभा में […]
देवघर : यूं तो त्रेता युग से ही मैथिली के लिए आंदोलन शुरू हो गया था. एकीकृत बिहार के समय में ही मैथिली को राजभाषा का दर्जा दिलाने की मुहिम शुरू हो गयी थी. वर्ष 2003 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने देश में मैथिली को संवैधानिक भाषा का दर्जा प्रदान किया. 22 को लोकसभा में व 23 दिसंबर को राज्यसभा में पारित होने के बाद 25 दिसंबर को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने संघ लोकसेवा आयोग को मैथिली भाषा के इस्तेमाल के लिए पत्र लिखा.
उक्त आशय की जानकारी अंतराष्ट्रीय मैथिली सम्मेेलन के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी ने देवघर में दी. उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से यूपीएससी, बीपीएससी अौर सर्वोच्च संस्था साहित्य अकादमी में मैथिली का प्रयोग हो रहा है. उसी प्रकार से झारखंड में निवास करने वाले करोड़ों मैथिली भाषाभाषी को ध्यान में रखते हुए सरकार सुविधा प्रदान करे. मैथिली भाषा को भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में शामिल करने के बाद से प्रत्येक वर्ष यह सम्मेलन 22 व 23 दिसंबर को आयोजित होता है. इस वर्ष देवघर में 22 व 23 दिसंबर को यह सम्मेलन आयोजित होना है. इसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है.
झारखंड में भी मैथिली अकादमी गठित हो
महासचिव ने बताया कि अष्टम अनुसूची में शामिल होने के बाद मैथिली के 100 से ज्यादा प्रख्यात विद्वान राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत हो चुके हैं. एकीकृत बिहार के समय से अौर दिल्ली सरकार की अोर से मैथिली अकादमी गठित की गई है. चेयरमेन से लेकर सारे पदाधिकारी काम करते हैं. दिल्ली में मैथिली अकादमी है तो झारखंड में भी मैथिली अकादमी की स्थापना हो. यहां भी मैथिली राजकाज की भाषा बने. वैसे भी यहां पूर्व से मैथिली भाषा के शिक्षक व सैकड़ों की संख्या में छात्र हैं. सम्मेलन के माध्यम से झारखंड सरकार से इस बात की मांग रखेंगे.
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