हॉस्टल के छात्रों द्वारा बार-बार जिला कल्याण पदाधिकारी से गुहार लगायी जा रही है, लेकिन हर बार सिवाय आश्वासन के समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है.
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असुरक्षित है देवघर का जनजातीय बालक छात्रावास
देवघर : एएस कॉलेज स्थित एक सौ शय्या वाला जनजातीय बालक छात्रावास में एक सौ से ज्यादा छात्र रहते हैं. वहीं हॉस्टल की सुरक्षा के लिए न तो नाइट गार्ड हैं और न ही कोई सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है. नतीजा हॉस्टल में आने-जाने वाले लोगों की मॉनिटरिंग के लिए कोई ठोस बंदोबस्त नहीं है. […]
देवघर : एएस कॉलेज स्थित एक सौ शय्या वाला जनजातीय बालक छात्रावास में एक सौ से ज्यादा छात्र रहते हैं. वहीं हॉस्टल की सुरक्षा के लिए न तो नाइट गार्ड हैं और न ही कोई सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है. नतीजा हॉस्टल में आने-जाने वाले लोगों की मॉनिटरिंग के लिए कोई ठोस बंदोबस्त नहीं है. कब क्या हादसा हो जाये, इसकी जवाबदेही भी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. कल्याण विभाग झारखंड सरकार द्वारा निर्मित जनजातीय बालक छात्रावास का उदघाटन फरवरी 2004 में सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने किया था. एक दशक बीतने के बाद भी हॉस्टल में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.
छात्रों के भोजन पकाने के लिए रसोइया नहीं है. बारिश के मौसम में हॉस्टल भवन का छत से पानी टपकता है. बाथरूम का हालत जर्जर है. गंदगी का अंबार है. हाथ धोने के लिए बेसिन तक दुरूस्त नहीं है. पीने के पानी के लिए छात्रों को हॉस्टल कैंपस के चापानल पर आश्रित रहना पड़ता है. बिजली का वायरिंग भी जगह-जगह खराब है. खिड़की का शीशा टूटा है. दरवाजा भी सुरक्षित नहीं है.
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