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उच्च विद्यालयों के साइंस किट के उपयोग पर लगा ग्रहण!
देवघर : देवघर में राजकीयकृत हाइस्कूल, प्रोजेक्ट हाइस्कूल सहित उत्क्रमित स्कूलों की कुल संख्या 126 है. इसमें 22 उत्क्रमित हाइस्कूल को छोड़ शेष 104 स्कूलों में साइंस कीट की खरीदारी सहित नियमित रूप से प्रायोगिक कक्षा लेने का प्रावधान है. लेकिन, शिक्षकों की कमी एवं संसाधन के अभाव में अधिकांश हाइस्कूलों में प्रायोगिक की कक्षाएं […]
देवघर : देवघर में राजकीयकृत हाइस्कूल, प्रोजेक्ट हाइस्कूल सहित उत्क्रमित स्कूलों की कुल संख्या 126 है. इसमें 22 उत्क्रमित हाइस्कूल को छोड़ शेष 104 स्कूलों में साइंस कीट की खरीदारी सहित नियमित रूप से प्रायोगिक कक्षा लेने का प्रावधान है. लेकिन, शिक्षकों की कमी एवं संसाधन के अभाव में अधिकांश हाइस्कूलों में प्रायोगिक की कक्षाएं नहीं हो रही है. प्रायोगिक की कक्षाएं नहीं होने के कारण विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को साइंस उपकरण मसलन परखनली, केमिकल आदि की बुनियादी जानकारी भी नहीं है.
नतीजा वार्षिक परीक्षा में प्रायोगिक के नाम पर छात्र-छात्राएं बगल झांकने लगते हैं. नतीजा वार्षिक परिणाम में छात्रों को काफी कम अंकों से ही संतोष करना पड़ता है. राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत शुरुआती दौर में साइंस कीट की खरीदारी के लिए पूर्व में चिह्नित विद्यालयों को 75 हजार रुपये दिया गया था. इसमें 25 हजार रूपये लघु निर्माण कार्य के लिए शेष पचास हजार रुपये प्रयोगशाला में कीट आदि की खरीदारी के लिए दिया गया था.
पुन: 25-25 हजार रुपये साइंस कीट की खरीदारी के लिए विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया था.लेकिन, इस राशि का उपयोग भी विद्यार्थियों के हित में नहीं हो रहा है.
104 स्कूलों में साइंस के 30 शिक्षक ही कार्यरत हैं. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के 104 हाइस्कूलों में जीव विज्ञान, गणित एवं विज्ञान के सिर्फ 30 शिक्षक ही कार्यरत हैं. स्वीकृत पद के आलोक में विज्ञान शिक्षकों के नहीं रहने के कारण विद्यालय में पठन-पाठन के अलावा प्रायोगिक वर्ग कक्ष पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
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