कलश स्थापना के बाद मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी. इस दौरान कई भक्त उपवास तो कोई सात्विक भोजन कर मां की पूजा करते है़ं मां के चरणों में फल-फूल अर्पित किया जाता है. वाराणसी और बांग्ला पंचांग के अनुसार इस बार मां का आगमन और गमन घोड़ा पर हो रहा है. वहीं मिथिला पंचांग के अनुसार मां का आगमन घोड़ा पर हो रहा है अौर गमन मुर्गा पर हो रहा है. हालांकि मां की आराधना पूरे 10 दिनों तक होगी, जो भक्तों को शुभ फल देगी.
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दुर्गोत्सव: शारदीय नवरात्र शुरू, आज होगी कलश स्थापना, मां दुर्गा बरसायेंगी कृपा
देवघर. शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो रहा है़ शनिवार से मां दुर्गा के मंत्र से पूरी देवनगरी गूंज उठेगी़ इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है़ भक्त घर या दुर्गा मंदिरों में कलश की स्थापना करेंगे. मां दुर्गा की अाराधना की जायेगी. सभी सुख, शांति और समृद्धि की कामना करेंगे़ नवरात्र में काफी भक्त […]
देवघर. शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो रहा है़ शनिवार से मां दुर्गा के मंत्र से पूरी देवनगरी गूंज उठेगी़ इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है़ भक्त घर या दुर्गा मंदिरों में कलश की स्थापना करेंगे. मां दुर्गा की अाराधना की जायेगी. सभी सुख, शांति और समृद्धि की कामना करेंगे़ नवरात्र में काफी भक्त बिना कलश स्थापित किये भी मां की आराधना करते हैं.
सुबह 4.23 बजे से प्रतिपदा
शारदीय नवरात्र एक अक्तूबर से शुरू हो रहा है. प्रात: 04.23 बजे से प्रतिपदा लग रहा है, जो रविवार को प्रात: 05.53 बजे तक रहेगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त दिन के 11.36 से 12.24 बजे के बीच है. कलश स्थापना के लिए यह बेहतर समय माना गया है. प्रात:काल कन्या लग्न मुहूर्त 05.44 से 06.53 तक है. यह समय भी कलश स्थापना के लिए अच्छा माना जाता है. पुरोिहतों का कहना है िकमां की आराधना के लिए प्रात:काल का समय सबसे अच्छा माना गया है.
कलश स्थापना का विशेष महत्व
पुरोहितों के अनुसार, मां की आराधना शुरू करने से पूर्व सबसे पहले कलश में जल, गंगाजल, सर्वोषधि, दूभ, कुश, पंच पल्लव, सप्तमृतिका, कसैली, पंचरत्न, द्रव्य डाल कर उस पर ढक्कन लगाकर ढक दें. ढक्कन में अक्षत डाल कर उस पर नारियल एक कपड़े में लपेट कर रख लें और फिर उसकी पूजा कर लें.
इन नौ देवियाें की होगी पूजा
एक अक्तूबर : शैलपुत्री (पहाड़ों की पुत्री)
दो-तीन अक्तूबर : ब्रह्मचारिणी ( ब्रह्मचािरणी)
चार अक्तूबर : चंद्रघंटा (चांद की तरह चमकनेवाली)
पांच अक्तूबर : कूष्माण्डा (पूरा जगत उनके पैर में है)
छह अक्तूबर : स्कंदमाता (कार्तिक स्वामी की माता)
सात अक्तूबर : कात्यायनी (कात्यायन आश्रम में जन्मी)
आठ अक्तूबर : कालरात्रि (काल का नाश करनेवाली)
नौ अक्तूबर : महागौरी (सफेद रंगवाली मां)
10 अक्तूबर : सिद्धिदात्री (सर्व सिद्धि देनेवाली)
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