इसके कारण शिवगंगा के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. खतरनाक रासायनिक पदार्थ गंभीर बीमारियों को आमंत्रण देता है. इतना ही नहीं मंदिर व आसपास के कई मुहल्लों के लोग स्नान-ध्यान के अलावा कपड़ों की सफाई भी शिवगंगा में करते हैं. इस कारण भी इसका पानी प्रदूषित होता है. प्रशासन, मंदिर प्रबंधन समेत शहर के बुद्धिजीवियों की अोर से इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो रही.
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खतरे में है शिवगंगा की पवित्रता
देवघर: वर्ष भर देश व विदेश के श्रद्धालु व तीर्थयात्री बाबा वैैद्यनाथ की पूजा करने देवघर आते हैं. पूजा से पहले आस्था के प्रतीक पवित्र सरोवर शिवगंगा में डुबकी लगाते हैं. लेकिन शिवगंगा धीरे-धीरे विषाक्त हो रही है. विभिन्न तरह की समस्या के अलावा बड़ी संख्या में प्रतिमाअों का विसर्जन शिवगंगा के जल का प्रदूषित […]
देवघर: वर्ष भर देश व विदेश के श्रद्धालु व तीर्थयात्री बाबा वैैद्यनाथ की पूजा करने देवघर आते हैं. पूजा से पहले आस्था के प्रतीक पवित्र सरोवर शिवगंगा में डुबकी लगाते हैं. लेकिन शिवगंगा धीरे-धीरे विषाक्त हो रही है. विभिन्न तरह की समस्या के अलावा बड़ी संख्या में प्रतिमाअों का विसर्जन शिवगंगा के जल का प्रदूषित कर रहा है. मूर्तियों में इस्तेमाल किये जाने वाले रासायनिक पदार्थ भी शिवगंगा में जल में मिल रहा है. हजारों टन मिट्टी एवं लकड़कियों के टूकड़े प्रतिमा के साथ शिवगंगा में जमा होते हैं.
इको फ्रेंडली प्रतिमा
शिवगंगा के जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए महानगरों की तर्ज पर यहां भी मूर्तियों के निर्माण में खतरनाक रसायनिक पदार्थ के इस्तेमाल नहीं कर इको फ्रैंडली तरीके से मिट्टी में मूर्तियों को विसर्जन का तरीका को बढ़ावा देना समय की मांग हो गयी है. मुंबई में बड़ी संख्या में विभिन्न समितियों ने गणेश विसर्जन में इको फ्रैंडली पद्धति को अपनाते हुए समुद्र में विसर्जन नहीं किया. देवघर में भी यह व्यवस्था होना चाहिए.
कहते हैं डॉक्टर
दूषित जल के छुने या स्नान करने से सुपर फिशियल फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इसके बाद सिर में, शरीर में, हाथ व पैर में कई तरह के फंगल इंफेक्शन के निशान दिखने शुरू हो जाते हैं. दूषित जल से काछ में एक्जीमा, स्कैबिज, एलर्जिक डर्मिटाइटिस के अलावा त्वचा कैंसर की भी समस्या हो जाता है. इसके अलावा दूषित जल पीने से वाटर बोर्न डिजिज भी हो सकते हैं.
– डॉ नवल किशोर, त्वचा रोग विशेषज्ञ,
फिल्ट्रेशन का काम फेल: शिवगंगा की जल को स्वच्छ बनाना झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. 11 करोड़ की लागत से फिल्टरेशन प्लांट लगाने के लिए एमओयू भी किया गया. लेकिन, एजेंसी द्वारा काफी विलंब से काम शुरू किया गया. कार्य की प्रगति धीमा देखते हुए एमओयू रद्द कर दिया गया. इससे पहले जिला प्रशासन, नगर निगम और मंदिर प्रबंधन बोर्ड ने अपनी ओर से शिवगंगा की सफाई के लिए कई प्रयास किये. मगर सारे प्रयास असफल रहा.
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