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नहीं मिलतीं दवाइयां, भटकते हैं लोग

परेशानी. रात में नहीं खुली रहती हैं दवा दुकानें, सुबह होने का मरीज करते हैं इंतजार देवघर : रात में इलाज के लिए देवघर में डॉक्टर मिल जायेंगे, लेकिन जीवनरक्षक दवाएं नहीं मिलेगी. यह डर हर वक्त मरीजों व उनके परिजनों को सताता है. डर हो भी क्यों नहीं, रातभर शहर की सभी दवा दुकानें […]

परेशानी. रात में नहीं खुली रहती हैं दवा दुकानें, सुबह होने का मरीज करते हैं इंतजार
देवघर : रात में इलाज के लिए देवघर में डॉक्टर मिल जायेंगे, लेकिन जीवनरक्षक दवाएं नहीं मिलेगी. यह डर हर वक्त मरीजों व उनके परिजनों को सताता है. डर हो भी क्यों नहीं, रातभर शहर की सभी दवा दुकानें बंद रहती हैं. यहां तक कि सदर अस्पताल का दवा काउंटर में भी ताला लटका रहता है.
सदर अस्पताल में अपातकालीन कक्ष खुला रहता है, जहां पारासिटामोल, सिपरोफ्लोक्सासीन व दर्दनाशी दवा को छोड़ कर कुछ भी नहीं रहता है. यहां तक कि एक साथ अगर एक दर्जन जख्मी मरीज पहुंच जाएं तो मर्कसील (स्टीच धागा) भी उपलब्ब्ध नहीं हो पाता है. दवा नहीं मिलने से मरीज तड़पते रहते हैं और दवा की खोज में परिजन इधर-उधर भटकते हैं. कभी-कभी तो रातभर दवा के लिए मरीज व उनके परिजन सुबह होने का इंतजार करते हैं. ऐसे में मरीज के साथ अनहोनी का खतरा बना रहता है.
किसी ने नहीं की पहल : सरकारी स्तर पर तो रात्रिकालीन दवा की कोई व्यवस्था पूरे देवघर जिले भर में नहीं है. शहर के एक-दो प्राइवेट क्लिनिक की छोड़ दें तो कहीं कोई दवा दुकानें नहीं खुली रहती है. पुराना सदर अस्पताल में केमिस्ट-ड्रगिस्ट एसोसिएशन के स्तर से एक दवा बिक्री की गुमटी खुली भी रहती है तो अधिकांश दवाएं उसके पास मिल ही नहीं पाती है.
बावजूद इसके आजतक किसी जनप्रतिनिधि व समाजसेवी ने इस मसले पर आज तक कहीं कोई सवाल नहीं उठाया. किसी संगठन ने भी अब तक इस पर कोई चिंतन तक नहीं किया. स्वास्थ्य विभाग हमेशा ऐसे गंभीर मसले पर असंवेदनशील बना रहा किंतु प्रशासन ने भी कभी इसकी सुधि लेना उचित नहीं समझा. एनआरएचएम की तरफ से वर्ष 2014 में ही पुराने सदर अस्पताल में एक जनऔषधि केंद्र का उदघाटन भी कराया गया था, जो कभी खुला ही नहीं. बंद में ही उसमें उपलब्ध सारी दवाएं एक्सपायर कर गयी.
आसपास के जिलों से भी पहुंचते हैं मरीज : देवघर तीर्थनगरी है. यहां सालोंभर पर्यटक, सैलानियों सहित श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. वहीं आसपास के जिले दुमका, गोड्डा और बिहार के बांका व जमुई जिले के गंभीर मरीजों को भी इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जाता है. ऐसे में यह बहुत बड़ी समस्या है.

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