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आयोजन: देवघरिया बोली का कवि सम्मेलन, कवियों ने कहा देवघरिया बोली में है अपनापन

देवघर: स्थानीय भारद्वाज मेंशन के सभागार में शुक्रवार को देवघरिया बोली में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन परंपरागत समिति (दिल्ली) व श्री बैद्यनाथ संस्कृत पुस्तकालय देवघर के संयुक्त रूप से किया. इसमें शहर के जाने-माने देवघरिया बोली के कवि सहित खोरठा व अन्य कवियों ने हिस्सा लिया. उन्होंने अपनी-अपनी कविताओं को सुनाकर देवघर की विरासत, […]

देवघर: स्थानीय भारद्वाज मेंशन के सभागार में शुक्रवार को देवघरिया बोली में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन परंपरागत समिति (दिल्ली) व श्री बैद्यनाथ संस्कृत पुस्तकालय देवघर के संयुक्त रूप से किया. इसमें शहर के जाने-माने देवघरिया बोली के कवि सहित खोरठा व अन्य कवियों ने हिस्सा लिया. उन्होंने अपनी-अपनी कविताओं को सुनाकर देवघर की विरासत, संस्कृति, प्रेम व भाईचारा, धरोहर व प्राकृतिक वातावरण को सहेजने का संदेश दिया.
देर रात तक कवियों ने विभिन्न विधाओं पर रचनाएं सुनाकर कार्यक्रम में देवघरिया मिठास घोल दी तथा खूब तालियां बटोरीं. मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री केएन झा ने कहा कि देवघर की एक अलग पहचान है. यहां के लोगों में जो आत्मीयता दिखती है, वह दूसरे जगहों पर नहीं मिलेगी. देवघरिया बोली में बहुत ही मिठास है जो अपनापन का बोध करता है.

विशिष्ट अतिथि डा सुरेश भारद्वाज ने भी देवघरिया बोली में अपने विचार रखे. सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे प्रो ताराचरण खवाड़े ने कहा कि देवघर की संस्कृति की हर जगह प्रशंसा होती है. उन्होंने कविता पाठ कर नयी दिशा दिखाई. इस अवसर पर डा शंकर मोहन झा, डा कौशिक कुमार मिश्र, राजेंद्र द्वारी, मनीष पाठक, सुरेशानंद पड़वे, शार्दुल सोमेश कश्यप, संदीप झा, रामसेवक गुंजन, एफएम कुशवाहा, कपिलदेव राणा, अर्जुन श्रीवास्तव, डा मोतीलाल द्वारी, पंडित छोटेलाल मिश्र के अलावा विक्रम पत्रलेख, संजय नारायण झा, उदय पुरोहितवार, महेश मिश्र, बॉबी जजवाड़े, पप्पू द्वारी, मनीष कुमार पाठक, झलकू मिश्र आदि थे. मंच का संचालन डा नरेंद्र नाथ ठाकुर ने किया.

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