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अहम मुद्दा. श्राइन बोर्ड के सामने होंगी कई चुनौतियां
देवघर: कई वर्षों से प्यास लगने पर कुआं खोदने की तर्ज पर देवघर और बासुकिनाथ में श्रावणी मेला व्यवस्था किया जाता रहा है. प्रशासनिक कार्यों के अलावा देवघर और दुमका डीसी के समक्ष ये चुनौतियां रहती थी. अब श्राइन एरिया डेवलपमेंट अॉथोरिटी का गठन हो गया है. यह स्वतंत्र बॉडी है. जिसमें वैसे सभी विभागों […]
देवघर: कई वर्षों से प्यास लगने पर कुआं खोदने की तर्ज पर देवघर और बासुकिनाथ में श्रावणी मेला व्यवस्था किया जाता रहा है. प्रशासनिक कार्यों के अलावा देवघर और दुमका डीसी के समक्ष ये चुनौतियां रहती थी. अब श्राइन एरिया डेवलपमेंट अॉथोरिटी का गठन हो गया है. यह स्वतंत्र बॉडी है. जिसमें वैसे सभी विभागों के उच्चाधिकारियों को शामिल किया गया है, जो सीधे तौर पर मेला व्यवस्था से जुड़े हैं. मेला व्यवस्था और श्रद्धालुहित में जो भी काम होगा, विभागीय पेच में नहीं फंंसेगा. फाइलों का त्वरित निष्पादन होगा. इसी उद्देश्य को लेकर अॉथोरिटी ने काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन श्रावणी मेला शुरू होने में मात्र दो माह शेष हैं. एेसे में मेला का सफल संचालन अॉथोरिटी के लिए चुनौती साबित होगा.
लंबी कतार से मुक्ति दिलाना
श्रावणी मेले के दौरान कांवरियों की 10-15 किमी लंबी कतार लग जाती है. सोमवार को तो भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि संभालना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में लंबी कतार से कांवरियों को मुक्ति दिलाना श्राइन बोर्ड के लिए अहम होगा.
आवासन , पेयजल व शौचालय की व्यवस्था
इतनी बड़ी संख्या में देवघर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवासन, शौचालय और पेयजल की व्यवस्था भी आवश्यक है. इसके लिए व्यापक तैयारी की जरूरत है. कांवरिया पथ से लेकर देवघर शहर में पूरे मेला क्षेत्र में यह व्यवस्था स्थायी रूप से हो, इसके लिए काम करने की जरूरत है. अब दो महीने में तो स्थायी इंतजाम नहीं हो सकता है. इसलिए चलंत शौचालय, वाटर टेप नल, बायोटॉयलेट आदि की व्यवस्था काफी संख्या में मेला क्षेत्र में रहे.
सफाई की व्यवस्था
मेला क्षेत्र में हर दिन एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन के कारण शहर काफी गंदा हो जाता है. कूड़ा-करकट से भर जाता है. इसलिए हर दिन की सफाई व्यवस्था पूरे मेला क्षेत्र में हो ताकि गंदगी न फैले. सफाई व्यवस्था के लिए अधिकाधिक संख्या में ट्रेक्टर, सफाई मजदूर काम में लगे. दुम्मा से लेकर देवघर और बासुकिनाथ मेला क्षेत्र में सफाई की मुकम्मल व्यवस्था करना भी बोर्ड के लिए चुनौती होगी.
सुरक्षा व्यवस्था
श्रावणी मेले के दौरान दुम्मा से लेकर देवघर, बासुकिनाथ और जिले के बॉर्डर एरिया में श्रद्धालुओं को सुरक्षित और निरापद यात्रा भी अहम है. कांवरिया पथ पर दिन रात श्रद्धालु चलते हैं, इसलिए उन्हें पूरी सुरक्षा जरूरी है. इसके अलावा बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन व मेला क्षेत्र के अलावा कतार में भी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था जरूरी है.
स्वास्थ्य व्यवस्था
मेले में बीमार कांवरियों को स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए भी बोर्ड को अहम भूमिका निभानी होगी. जगह-जगह अस्थायी अस्पताल, भारी संख्या में डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ की प्रतिनियुक्ति, एंबुलेंस, दवाइयों की व्यवस्था तो रहती है. लेकिन बड़ी बीमारी या इमरजेंसी से निबटने के लिए पुख्ता इंतजाम न तो देवघर में है और न ही बासुकिनाथ में. इसलिए मेले के दौरान सुपर स्पेशियलिटी सुविधा उपलब्ध कराना बोर्ड के लिए चुनौती होगी.
ट्रैफिक कंट्रोल
श्रावणी मेले में वाहनों की संख्या भी देवघर और बासुकिनाथ में बढ जाती है. लेकिन ट्रैफिक कंट्रोल का कोई इंतजाम देवघर और बासुकिनाथ में नहीं है. ट्रैफिक जिला होने के बाद भी देवघर में इंतजाम नहीं है. आम दिनों में भी ट्रैफिक और जाम की समस्या बनी रहती है. इसलिए मेले के दौरान ट्रैफिक कंट्रोल अहम होगा. पड़ाव की समस्या का समाधान भी स्थायी करना होगा. बस स्टैंड भी आधुनिक तैयार करना होगा.
स्पेशल ट्रेन के लिए रेलवे से को-अॉर्डिनेशन
मेले में हर दिन लाखों यात्री ट्रेन की यात्रा भी करते हैं. जो लोग पैदल कांवर लेकर आते हैं वे अधिकांश कांवरिये ट्रेन से जाते हैं. इसलिए श्राइन बोर्ड और राज्य सरकार रेलवे से बात करके देवघर, बैद्यनाथधाम और जसीडीह से होकर विभिन्न स्थानों के लिए स्पेशल ट्रेन का परिचालन करवाये ताकि यात्रियों को भीड़ से निताज मिले. उपरोक्त के अलावा भी कई ऐसी जरूरी सुविधाएं हैं जो बोर्ड को बहाल करनी होगी ताकि मेले में सुखद अनुभूति लेकर कांवरिये देवघर और बासुकिनाथ से जायें.
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