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2005 में मिली मान्यता, विवि को भी खबर नहीं

देवघर : रमा देवी बाजला महिला कॉलेज में स्नातक साइंस की पढ़ाई की स्थायी मान्यता मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा वर्ष 2005 में ही दे दी गयी थी. इसका खुलासा बाजला कॉलेज के पुरानी फाइल से मिली मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा जारी चिट्ठी से हुआ है. लापरवाही की हद तो […]

देवघर : रमा देवी बाजला महिला कॉलेज में स्नातक साइंस की पढ़ाई की स्थायी मान्यता मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा वर्ष 2005 में ही दे दी गयी थी. इसका खुलासा बाजला कॉलेज के पुरानी फाइल से मिली मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा जारी चिट्ठी से हुआ है.

लापरवाही की हद तो यह है कि मान्यता मिलने के बाद भी कॉलेज में 11 वर्षों तक न तो लड़कियों का दाखिला हुआ और न ही साइंस ग्रेजुएट की कोई कक्षाएं हुई. कॉलेज प्रशासन से लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन तक मान्यता की जानकारी से बेखबर रहे. इस दौरान कॉलेज प्रशासन द्वारा लगातार सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय प्रशासन से साइंस ग्रेजुएट की पढ़ाई की मान्यता के लिए अनुरोध किया जाता रहा. कॉलेज प्रशासन के अनुरोध पत्र पर विश्वविद्यालय प्रशासन भी सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए मान्यता के लिए एचआरडी में पत्र भेजे जाने का भरोसा दिलाता रहा. लड़कियों की शिक्षा को गंभीरता से लेते हुए विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा लगातार चरणबद्ध आंदोलन भी किया गया. विश्वविद्यालय स्तर पर लगातार सीनेट एवं सिंडिकेट में भी मामला उठता रहा. बुद्धिजीवियों ने भी लड़कियों की शिक्षा पर त्वरित प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कॉलेज में साइंस ग्रेजुएट पढ़ाई आरंभ कराने की मांग की थी. इस दौरान कॉलेज के चार प्राचार्य व प्रभारी एवं सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के चार कुलपति व प्रभारी बदल गये हैं.
बीए ऑनर्स व पास कोर्स को 1994 में मिली थी स्थायी मान्यता
रमा देवी बाजला महिला कॉलेज की स्थापना 17 जुलाई,1962 को हुई थी. कॉलेज की स्थापना के बाद वर्ष 1976 में अस्थायी मान्यता के तहत बीए कोर्स प्रारंभ किया गया. वर्ष 1994 में कॉलेज में त्रिवर्षीय बीए ऑनर्स एवं बीए पास कोर्स को स्थायी मान्यता दी गयी. इससे पहले वर्ष 85-86 में बी कॉम प्रतिष्ठा कोर्स की अस्थायी मान्यता दी गयी. बी कॉम कोर्स को स्थायी मान्यता मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार से वर्ष 2005 में दी गयी थी.
कहती हैं प्राचार्या
बाजला कॉलेज की प्राचार्या डॉ नीरजा दूबे ने कहा कि नेशनल असेस्मेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल (नैक) से मान्यता के लिए आवेदन किया गया है. इस कड़ी में नैक द्वारा कुछ बिंदु पर ऑब्जेक्शन किया गया था. इस संबंध में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से पत्राचार करते हुए कॉलेज के पुरानी फाइल को खंगाला जा रहा था. अफसोस की बात है कि स्थायी मान्यता से संबंधित पत्र कॉलेज के पुरानी फाइल से 11 वर्षों के बाद मिली. प्राचार्य की कुरसी संभालने के बाद कई दफा सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय से साइंस ग्रेजुएट की पढ़ाई आरंभ कराने एवं मान्यता देने के लिए पत्राचार करती रही. हर बार मान्यता दिलाने का भरोसा भी दिया जाता रहा. 11 वर्षों तक छात्राएं साइंस की पढ़ाई से वंचित रही.
कुलपति कहते हैं कोई जानकारी नहीं है
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के कुलपति डॉ कमर अहसन ने कहा कि साइंस ग्रेजुएट की पढ़ाई रमा देवी बाजला महिला कॉलेज में आरंभ हो, इसके लिए हमलोगों ने कोशिश की थी. कॉलेज द्वारा भी कई बार पत्राचार किया गया. अब स्थायी मान्यता से संबंधित क्या पत्र मिला है. इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. कॉलेज के प्राचार्य से बात करेंगे. इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी.
रजिस्ट्रार कहते हैं फाइल देखना पड़ेगा
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के रजिस्ट्रार डॉ प्रसून्न कुमार घोष ने कहा कि स्थायी मान्यता मिलने के बाद शिक्षकों का पद स्वीकृत होना जरूरी है. एक वर्ष पहले की प्रभार लिया हूं. पूरे मामले की जानकारी फाइल देखने के बाद ही पता चल पायेगा. इसलिए फाइल देखने के बाद ही पूरी जानकारी दे सकते हैं.

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