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असमानता दूर करने के लिए समान एजुकेशन सिस्टम जरूरी

देवघर: जब तक दो एजुकेशन सिस्टम इन्क्लूसिव और एक्सक्लूसिव रहेगा. तब तक समाज के विकास में वृद्धि के बावजूद भी असमानता बनी रहेगी. इन्क्लूसिव सिस्टम से तात्पर्य सरकारी शिक्षण संस्थान एवं एक्सक्लूसिव सिस्टम से तात्पर्य निजी शिक्षण संस्थान से है. उक्त बातें भारतीय आर्थिक परिषद के पूर्वी जोन के संयुक्त सचिव डॉ नागेश्वर शर्मा ने […]

देवघर: जब तक दो एजुकेशन सिस्टम इन्क्लूसिव और एक्सक्लूसिव रहेगा. तब तक समाज के विकास में वृद्धि के बावजूद भी असमानता बनी रहेगी. इन्क्लूसिव सिस्टम से तात्पर्य सरकारी शिक्षण संस्थान एवं एक्सक्लूसिव सिस्टम से तात्पर्य निजी शिक्षण संस्थान से है. उक्त बातें भारतीय आर्थिक परिषद के पूर्वी जोन के संयुक्त सचिव डॉ नागेश्वर शर्मा ने बुधवार को आवास पर आयोजित पत्रकार सम्मेलन में कही. डॉ शर्मा 27 से 29 दिसंबर तक मीनाक्षी विश्वविद्यालय कांचीपुरम चेन्नई में चले भारतीय आर्थिक परिषद के 96वां वार्षिक सम्मेलन से लौटे थे.

उन्होंने कहा कि इन्क्लूसिव सिस्टम में गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक एवं उच्च वर्ग के गरीब पढ़ाई करते हैं. जबकि एक्सक्लूसिव सिस्टम से तात्पर्य आधुनिक सुविधाओं से लैस निजी शिक्षण संस्थान से है जहां सभी जाति एवं वर्ग के अमीर अभिभावकों के बच्चे पढ़ाई करते हैं.

इसे दूर करना भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी चुनौती है. भारत के दूसरे बड़े प्रोफेशनल एसोसिएशन का झारखंड से संयुक्त सचिव चुना गया हूं. इसलिए मेरी कोशिश रहेगी कि प्रदेश में आने वाले दिनों में झारखंड की समस्याओं पर ज्यादा से ज्यादा सेमिनार, सिम्पोजियम, वर्कशॉप आयोजित करूं. इससे न सिर्फ सूबे की सरकार बल्कि केंद्र सरकार भी यहां की समस्याओं से अवगत होंगे. उन्होंने कहा कि दसवीं और ग्यारहवीं योजनाओं में समावेशी विकास योजनाओं का मुख्य लक्ष्य मानते हुए ढेरों योजनाएं प्रारंभ की गयी है.

इसमें मनरेगा, मिड डे मील योजना, स्वास्थ्य बीमा योजना, कृषकों को सब्सिडी पर खाद उपलब्ध कराने, छात्रवृत्ति एवं पोशाक योजना महत्वपूर्ण है. लेकिन, इन योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां व्याप्त है. इसलिए एक दशक के बाद भी समावेशी विकास का लक्ष्य कोसों दूर है. उन्होंने कहा कि तीन दिनों तक चले सम्मेलन में विभिन्न आर्थिक मुद्दों पर विशेष लेर एवं पैनल डिस्कशन के माध्यम से चर्चाएं हुई थी. उन्होंने कहा कि इंडियन साइंस कांग्रेस के बाद प्रोफेशनल एसोसिएशन का दूसरा सबसे बड़ा संस्थान है. ब्रिटिश अर्थशास्त्री प्रो हेमिल्टन ने इस परिषद की नींव डाली थी. सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री वेरा एन्सटे इनके संस्थापक सदस्यों में से एक थीं. प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भी परिषद के आजीवन सदस्य हैं. वर्तमान में संस्थान के 4600 सौ सदस्य हैं.

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