देवघर: सारठ पंचायत समिति से सहमति लिये बगैर बीडीओ द्वारा मनरेगा की पारित 17 हजार योजनाएं पर डीडीसी मीना ठाकुर ने भी सहमति जता दी है. सारठ की प्रमुख रंजना देवी ने 29 मार्च को डीडीसी को पत्र लिखकर बीडीओ के खिलाफ शिकायत की थी. प्रमुख का कहना था कि तीन मार्च को सारठ पंचायत समिति की बैठक उनकी अध्यक्षता में की गयी थी.
इस बैठक में मनरेगा की करीब 17 हजार वार्षिक विकास योजनाओं को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत ही नहीं किया गया. लेकिन पंचायत समिति की उक्त बैठक की कार्रवाई प्रतिवेदन के प्रारुप के क्रमांक 10 में वार्षिक कार्ययोजना को गलत ढंग से अंकित कर बीडीओ ने सीधे जिला मुख्यालय में योजनाएं भेज दी. प्रमुख का कहना है कि मनरेगा के गाइडलाइन के अनुसार ग्राम सभा से चयनित मनरेगा की योजनाओं का अनुमोदन पंचायत समिति की बैठक में करने का प्रावधान है.
इस पूरे मामले में डीडीसी ने पंचायत समिति द्वारा योजना पारित करना जरुरी नहीं समझा. डीडीसी ने सात अप्रैल को पत्रांक 502 में जारी पत्र में कहा है कि ग्राम पंचायत के प्रस्ताव को पंचायत समिति द्वारा जिला पंचायत को प्रत्येक वर्ष दो वार्षिक विकास योजना प्रस्तुत करेगा, जिसके न किये जाने पर बीडीओ द्वारा प्रस्तुत योजना को अनुमोदित मान लिया जायेगा. डीडीसी ने साफ तौर पर कहा है कि उक्त परिपेक्ष में बीडीओ सक्षम पदाधिकारी हैं.
क्या कहते हैं प्रमुख
यह गलत परंपरा की शुरुआत है. मैंने यह कभी नहीं कहा कि ग्राम पंचायत से चयनित योजना को नजरअंदाज करना है, लेकिन पंचायतीराज व्यवस्था के तहत बनी पंचायत समिति की बैठक में योजना की सहमति को लेनी चाहिए थी. अगर बीडीओ व डीडीसी ही योजना को पारित कर देते हैं तो पंचायतीराज का औचित्य क्या है. यह अफसरशाही है.
– रंजना देवी, प्रमुख, सारठ
देवीपुर में भी सारठ के तर्ज पर बीडीओ ने योजना पारित कर दी है. जिप की बैठक में बीडीओ की शिकायत मैंने की है. सारठ के मामले में डीडीसी की आेर से गाइडलाइन का हवाला देकर बीडीओ को सक्षम पदाधिकारी बताना पूरी तरह से अफसरशाही है. अगर यही करना है तो पंचायतीराज का उद्देश्य कैसे पूरा होगा. ऐसे में पंचायत चुनाव की क्या जरुरत थी.
– यशोदा देवी, प्रमुख, देवीपुर
पदाधिकारी को पंचायत प्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर कोई भी कार्य करना चाहिए. पंचायत समिति एक कड़ी है, अगर योजनाएं पंचायत समिति से पारित होकर भेजी जाती तो जनता में बेहतर संदेश जाता है. डीडीसी द्वारा जारी पत्र से पंचायत प्रतिनिधियों व पदाधिकारी में दूरियां होगी. इससे जनता को नुकसान होगा.
– मुकेश वर्मा, प्रमुख, सारवां