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नहीं मिली सफलता

बिहार-झारखंड की पुलिस ने छाना जंगल देवघर/जसीडीह : बिहार-झारखंड की पुलिस की संयुक्त अभियान तो चला, किंतु अब तक अपहृत कर्मियों का सुराग तक नहीं मिल सका. केके बिल्डर्स के सात कर्मियों के नक्सलियों द्वारा किये गये अपहरण के सात दिन बीत गये. कोई नतीजा पुलिस को नहीं मिल पाया है. सातवें दिन रविवार को […]

बिहार-झारखंड की पुलिस ने छाना जंगल

देवघर/जसीडीह : बिहार-झारखंड की पुलिस की संयुक्त अभियान तो चला, किंतु अब तक अपहृत कर्मियों का सुराग तक नहीं मिल सका. केके बिल्डर्स के सात कर्मियों के नक्सलियों द्वारा किये गये अपहरण के सात दिन बीत गये. कोई नतीजा पुलिस को नहीं मिल पाया है.

सातवें दिन रविवार को भी देवघर व जमुई पुलिस ने संयुक्त रूप से जमुई, बांका के सीमावर्ती जंगलों में कांबिंग अभियान चलाया. हालांकि देर शाम तक अगवा कर्मियों के संबंध में पुलिस कोई सुराग तक नहीं खोज सकी है. सूत्रों के अनुसार, घटना के सातवें दिन पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि नक्सलियों ने अपहृत मजदूरों को सिमुलतल्ला, टेल्वा पीपराडीह व कनोडी के जंगलों में छिपा रखा है.

इसी आधार पर एसपी प्रभात कुमार के निर्देश पर रविवार की सुबह एसडीपीओ अनिमेष नैथानी पुलिस पदाधिकारियों व एसटीएफ जवानों के साथ बिहार के जमुई जिला के सीमावर्ती क्षेत्र पहुंचे.

यहां सिमुलतला थानाध्यक्ष शंभू नाथ राम व पुलिस बलों के साथ मिलकर जंगलों में घंटों सर्च अभियान चलाया. अभियान में जसीडीह थाना प्रभारी देवव्रत पोद्दार, मधुपुर थाना प्रभारी केके साहु, एसआइ हरेंद्र प्रसाद चौधरी सहित एसटीएफ जवान, ब्रज वाहन आदि के साथ शामिल थे.

सातवें दिन भी प्रेस को नहीं दी जानकारी

देवघर : नक्सलियों द्वारा अगवा केके बिल्डर्स के कर्मियों की बरामदगी के लिये पुलिस क्या कर रही है, इस संबंध में सातवें दिन भी अधिकारिक तौर पर पुलिस ने मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी है. पुलिस का अभियान चालू है या बंद कर दिया है, इस संबंध में मीडिया को कोई सूचना भी नहीं है.

बड़ी-बड़ी घटना देवघर में होने के बावजूद भी यहां की पुलिस ने सबक नहीं लिया. पुलिस लाइन में घटित डबल मर्डर मिस्ट्री में भी पुलिस का रवैया कुछ ऐसा ही था. इसी तरह आजसू जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह व चालक सोनू शर्मा हत्याकांड में भी पुलिस ने मीडिया से दूरी बना ली थी. इन दोनों घटनाओं में जब पुलिस मुश्किल में फंसी थी तब मीडिया का ख्याल आया था.

बताते चलें कि देश भर में कोई बड़ी घटना होती है तो दिन भर की गतिविधियों की जानकारी मीडिया को बुला कर दी जाती है. किसी एक का अपहरण भी होता है तो पुलिस अपनी कार्यकलापों को मीडिया को बुला कर शेयर करते हैं. किंतु देवघर ही एक ऐसा जिला है, जहां पुलिस अपने कर्यकलापों को मीडिया से छिपाते हैं.

उत्साह भी कम हुआ है पुलिस का : कांबिंग अभियान में कोई सुराग नहीं मिल पाने से अब पुलिस का उत्साह भी ठंडा पड़ने लगा है. अब अभियान के नाम पर पुलिस सिर्फ खानापूर्ति कर रही है. अगर सही मायने में पुलिस दिलेरी दिखा रही है तो फिर मीडिया को क्यों नहीं ब्रीफ कर रही है.

इससे लगता है कि पुलिस को कहीं न कहीं अपने कार्यो से संतुष्टि नहीं है, इसलिये मीडिया से सब कुछ छिपा रही है. अगर पुलिस मीडिया को बुलयेगी तो उनलोगों के प्रश्न प्रहार से नहीं बच सकती है. ऐसे में पुलिस खुद जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहती है.

संयुक्त अभियान चल रहा है, चार तरफ से जंगल को छान दिये हैं. फिलहाल चकाई, सिमुलतल्ला व बांका जिले के जंगली इलाकों में दोनों राज्यों की पुलिस का अभियान साथ-साथ चल रहा है. आरंभ में नक्सलियों ने अपहृत कर्मियों को जहां रखा था, वहां से दूसरी जगह शिफ्ट करा दिया है. अभियान से नक्सलियों में दबिश बनी है. जल्द नतीजा सामने आयेगा.

जितेंद्र राणा, एसपी, जमुई (बिहार)

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