प्रशिक्षु आइएएस ने स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले को किया उजागर
– नितिन चौधरी –
देवघर : स्वास्थ्य विभाग में मोबाइल मेडिकल यूनिट में भी घोटाला उजागर हुआ है. खराब पड़े मोबाइल मेडिकल यूनिट को डेढ़ माह तक क्षेत्र में घूमने के नाम पर 1050 लीटर ईंधन की खपत दिखा कर 57750 रुपये की खर्च का बिल बना दिया. इसका उजागर प्रशिक्षु आइएएस डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने किया है. जांच के बाद इसकी रिपोर्ट डीसी व सीएस को सौंपी गयी है.
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि मोबाइल यूनिट के नाम पर घोर अनियमितता की गयी है. पूरा वाहन कबाड़खाना बना हुआ था. गाड़ी के अंदर एक्सरे मशीन खराब है और बिना बैटरी के इसीजी मशीन लगा हुआ है.
पूरे गाड़ी पर धूल व मकड़जाल लगा पाया गया, लेकिन डेढ़ माह का मोबाइल मेडिकल यूनिट का खर्च 57750 रुपया लॉग बुक में दिखाया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल मेडिकल यूनिट गाड़ी घूमती नहीं, लेकिन सरकार के खजाने को लूटा जा रहा है. इस घोटाले के ऊपर जिले के आलाधिकारी चैन की बंसी बजा रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग इस घोटाले में फंसने वाले कई अधिकारियों की चमड़ी बचाने की कोशिश में लगा हुआ है जबकि रिपोर्ट 15 दिन पहले प्रशिक्षु आइएएस ने सौंपा था, लेकिन उसके बाद भी घोटाले की जांच पर कार्रवाई की जगह उसे दबाने की कोशिश की गयी है.
स्वास्थ्य विभाग में पहले ही कई मामलों में उपकरण घोटाले की जांच की बात कहीं जा रही है, लेकिन इससे पहले ही युवा आइएएस डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने रिपोर्ट देकर जमीनी स्तर पर हो रहे कार्य का आइना दिखा दिया.
खराब गाड़ी को डेढ़ माह तक प्राइवेट चालक ने चलाया : रिपोर्ट में मोबाइल मेडिकल यूनिट के वाहन को सरकारी चालक की जगह प्राइवेट चालक गाड़ी चला रहे थे. जबकि सरकारी चालक स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद है, लेकिन उसके बाद भी खराब पड़े गाड़ी को डेर माह तक प्राइवेट चालक ने चलाया है. सही गाड़ी को चलते हुए तो देखा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने खराब पड़ी गाड़ी को डेढ़ माह तक चला कर लोगों की सेवा की. लोगों की समझ से परे है.
15 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं हुई
रिपोर्ट मिलने के 15 दिन बाद भी सीएस ने कार्रवाई तो दूर शॉ कॉज करने की बात तक नहीं कहीं. अब इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि मोबाइल वैन यूनिट चलने के नाम पर 57750 रुपये की राशि गबन कर ली गयी, लेकिन कार्रवाई के प्रति सीएस की गंभीरता नजर आ रही है.