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बड़ा डील का बड़ा खेल

देवघर: बाबा बैद्यनाथ मंदिर से सटे चौक चांदनी मौजा स्थित नाथबाड़ी की जमीन का आज तक सर्वे नहीं हुआ है. इस कारण आज भी नाथबाड़ी की जमीन असर्वेक्षित है. इस कारण नाथबाड़ी का लगान एलआरडीसी के कार्यालय में जमा होता रहा है. चौक चांदनी मौजा के थाना नंबर 414 के अधीन नाथबाड़ी की जमीन का […]

देवघर: बाबा बैद्यनाथ मंदिर से सटे चौक चांदनी मौजा स्थित नाथबाड़ी की जमीन का आज तक सर्वे नहीं हुआ है. इस कारण आज भी नाथबाड़ी की जमीन असर्वेक्षित है. इस कारण नाथबाड़ी का लगान एलआरडीसी के कार्यालय में जमा होता रहा है. चौक चांदनी मौजा के थाना नंबर 414 के अधीन नाथबाड़ी की जमीन का मालिक गिद्धौर महाराज थे.

गिद्धौर महाराज ने नाथ संप्रदाय को धर्म कार्य के लिए नाथबाड़ी की जमीन दी थी. जमींदारी उन्मूलन के बाद 30 एकड़ से अधिक जमीन सरकार के अधीन हो गयी थी. लेकिन नाथबाड़ी की जमीन क्यों बची रह गयी यह आज भी रहस्य बना हुआ है.

इधर आजादी के पहले व जमींदारी उन्मूलन के बाद भी नाथबाड़ी की जमीन का आश्चर्यजनक ढंग से सर्वे नहीं हुआ. जबकि देवघर अनुमंडल क्षेत्र के कई मौजा की जमीन का सर्वे कैंप लगाकर किया गया था लेकिन नाथबाड़ी की जमीन का सर्वे नहीं हो पाया. इसके पीछे का सच कानूनी तौर पर भले ही भिन्न हो पर नैतिक व परंपरागत तौर-तरीके मेल नहीं खाते.

जाहिर है कि गिद्धौर इस्टेट ने बाबा मंदिर समेत काफी जमीन धर्मार्थ दान दिया था. अतएव नाथ संप्रदाय के बड़े महात्माओं ने यहां समाधि कैसे ली. यह सवालों के घेरे में है, क्योंकि उनके संप्रदाय में अनाधिकृत जमीन पर समाधि नहीं ली जाती. संभव है अन्य धार्मिक कार्य की तरह यहां भी मौखिक आदेश रहा हो. पर अब हालात बदल गये हैं. फिर भी गिद्धौर इस्टेट की दानशीलता की आज भी मिसाल दी जाती है. लेकिन इस मामले में कहानी लोगों की समझ से परे है.

क्या डीड गिद्धौर राज परिवार ने बनाया?
जमीन कारोबारी अब घूम-घूम कर जमीन पर मल्कियत की आंतरिक कहानी बताते हुए कहते हैं कि नाथबाड़ी की जमीन के मालिक गिद्धौर महाराज प्रताप सिंह थे. वे बाद में बांका के सांसद भी चुने गये. जमींदारी काल में ही नाथ संप्रदाय को यह जमीन दी गयी थी. अब उनका देहांत हो चुका है. सूत्रों के अनुसार प्रताप सिंह के जीवित काल में ही उनके पुत्र ठाकुर अजय सिंह उर्फ प्रिंस ने अपनी पुश्तैनी जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट देवघर के रजिस्ट्री कार्यालय में किया. बताया जाता है कि शहर के दो चर्चित हस्ती खुद न आगे आकर अपने प्रतिनिधियों के नाम से नाथबाड़ी की जमीन का एग्रीमेंट करवाया है. अब बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड द्वारा नाथबाड़ी की जमीन का अधिग्रहण करने की घोषणा के बाद निवेशकों के बीच हाय – तौबा मची है. इस संदर्भ में इस्टेट के प्रिंस उर्फ ठाकुर अजय सिंह से पक्ष लेने का प्रयास किया गया पर वे उपलब्ध नहीं बताये गये.

मदर डीड से खुलेगा रहस्य
डील की पूरी सच्चई क्या है. यह मदर डीड से ही खुलेगा. साथ ही यह भी पता चलेगा कि जमींदारी उन्मूलन के समय यह शो किया गया था या नहीं. या फिर सर्वे में यह कैसे छूटा रह गया. प्रशासन संभवत: इस पूरी विवरणी को खंगाल भी रही है.

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