देवघर: देवघर के प्राथमिक व मध्य विद्यालय में मध्याह्न् भोजन योजना की स्थिति बेहद खराब है. किचन शेड के अभाव में खुले आसमान के नीचे में मध्याह्न् भोजन पकाया जाता है. भोजन पकाने में रसोई गैस की जगह लकड़ी व कोयले का प्रयोग धड़ल्ले से किया जाता है. भारत सरकार के एक सर्वे रिपोर्ट में यहां के 27 फीसदी स्कूलों में मध्याह्न् भोजन बंद होने की बात सामने आयी है. शहरी क्षेत्र के कुछ विद्यालय को छोड़ दिया जाये तो देवघर के अधिकांश विद्यालय में मध्याह्न् भोजन पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता है.
स्कूल पहुंचने वाले बच्चों के बीच मेनू के हिसाब से गुणवत्तायुक्त भोजन नहीं परोसा जाता है. न ही स्थानीय स्तर पर मध्याह्न् भोजन की गुणवत्ता जांच के लिए कोई पुख्ता बंदोबस्त है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो देवघर के 2108 स्कूलों के करीब दो लाख छात्र-छात्राओं के बीच मध्याह्न् भोजन परोसा जाता है. लेकिन, मध्याह्न् भोजन बंद होने एवं गुणवत्ता का समुचित ख्याल नहीं रखे जाने की वजह से आये दिन हंगामा भी होते रहता है. ग्रामीणों की शिकायत पर प्रशासनिक एवं विभागीय पदाधिकारियों द्वारा जांच भी करायी जाती है.
जांच रिपोर्ट में मामला सच पाया जाता है. बावजूद जांच रिपोर्ट के आधार पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है. बीते नवंबर माह में सोनारायठाढ़ी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेहंगा ठाढ़ीलपरा में मध्याह्न् भोजन के नाम पर सूंडी युक्त चावल परोसे जाने के बाद छात्रों ने भोजन करने से इनकार कर दिया था. शिकायत जिले के पदाधिकारी को मिली. लेकिन, कार्रवाई अब तक शून्य है.