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आइसीयू की व्यवस्था तक नहीं है देवघर सदर अस्पताल में

देवघर: देवघर जिले की आबादी तकरीबन 14.92 लाख है. इतनी बड़ी आबादी के लिए जिले में एक सदर अस्पताल है. जिसे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने जिला अस्पताल का दर्जा देने की घोषणा की थी. लेकिन आज भी सदर अस्पताल में अनुमंडल अस्पताल की ही सुविधा है. जबकि देवघर का यह सदर अस्पताल सिर्फ […]

देवघर: देवघर जिले की आबादी तकरीबन 14.92 लाख है. इतनी बड़ी आबादी के लिए जिले में एक सदर अस्पताल है. जिसे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने जिला अस्पताल का दर्जा देने की घोषणा की थी. लेकिन आज भी सदर अस्पताल में अनुमंडल अस्पताल की ही सुविधा है.

जबकि देवघर का यह सदर अस्पताल सिर्फ देवघर जिले की आबादी के लिए नहीं है बल्कि बाबा मंदिर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है. लेकिन इतने महत्वपूर्ण स्थल पर सरकार का ध्यान नहीं है. विधानसभा में कई बार स्थानीय विधायकों ने जिला अस्पताल का दर्जा देने और सुविधाओं से लैस करने की बात उठायी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

नहीं है आइसीयू

महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल होने के बावजूद, देवघर सदर अस्पताल में आज तक आइसीयू की सुविधा नहीं है. इस ओर किसी का भी ध्यान ही नहीं गया है. चाहे सांसद हों या विधायक या सरकार के नुमाइंदे, किसी ने भी आज तक इस ओर पहल नहीं की. पूर्व मेयर राज नारायण खवाड़े ने एक बार पहल की थी, उन्होंने देवघर अस्पताल में आइसीयू के लिए एक लाख रुपये निजी फंड से दिये. लेकिन इसके बाद किसी ने बड़ी पहल नहीं की. अब तक आइसीयू वार्ड नहीं बन पाया है.

नहीं बन पाया ट्राेमा सेंटर

देवघर जिले के लिए ट्रोमा सेंटर भी स्वीकृत है.फंड भी मुहैया करा दिया गया है. लेकिन साल-दर-साल बीत रहे हैं, अभी तक ट्रोमा सेंटर की स्थापना नहीं हुई. इस कारण वाहन दुर्घटना के शिकार लोगों की अक्सर मौतें हो रही हैं.

जांच के यंत्र हैं लेकिन विशेषज्ञ नहीं

देवघर सदर अस्पताल का यह हाल है कि यहां जांच के लिए तकरीबन सभी जरूरी यंत्र जैसे इसीजी जांच मशीन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड आदि हैं, लेकिन विशेषज्ञ के अभाव में यंत्र धूल फांक रहे हैं. इस कारण इन जांचों की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पाती है. इसके अलावा डॉक्टरों व मेडिकल स्टॉफ का स्ट्रेंथ भी अनुमंडल अस्पताल का ही है.

मधुपुर रेफरल अस्पताल की हालत पीएचसी जैसी

देवघर अनुमंडल में एक सरकारी रेफरल अस्पताल है. उसकी हालत पीएचसी से भी बद्दतर है. यहां भी चिकित्सा की बेहतर सुविधा का अभाव है. रेफर के सिवा यहां कुछ नहीं होता है. सरदी-खांसी, बुखार, डायरिया आदि का ही इलाज बामुश्किल यहां हो पाता है. शेष के लिए या तो देवघर सदर अस्पताल या बाहर रेफर कर दिया जाता है.

स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं

जनप्रतिनिधि चाहे वे सरकार में हैं या सरकार के बाहर हैं. किसी का ध्यान स्वास्थ्य व्यवस्था की कमी दूर करने पर नहीं है. जब कोई बड़ी घटना होती है तो स्वास्थ्य व्यवस्था को कोस कर, बयान और आंदोलन की धमकी देकर चुप बैठ जाते हैं. देवघर में एम्स की स्थापना की बात हो रही है. अच्छी बात है, देवघर में एम्स खुले. लेकिन उसमें अभी देरी है. क्या तब तक देवघर के लोग यूं हीं अपनी जान देते रहेंगे. इसलिए पहले देवघर सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा दिलवाने के लिए दवाब बनाने की जरूरत है.

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