देवघर: बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड ने नाथबाड़ी जमीन का अधिग्रहण कर यात्रियों के लिए भवन बना कर विकास करने का फैसला लिया है. उसी तरह शिवगंगा, जलसार बांध व मानसरोवर का प्रबंधन बोर्ड अधिग्रहण करे और इसका सौंदर्यीकरण कर श्रद्धालु हित में आधारभूत संरचना तैयार करे. क्योंकि शिवगंगा का सीधा जुड़ाव बाबा मंदिर से है. वहीं मानसरोवर का भी ऐतिहासिक महत्व है. इसलिए बोर्ड को इसे भी अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर उसके जीर्णोद्धार के लिए सकारात्मक पहल करनी चाहिए. बाबा मंदिर के तीर्थ पुरोहित भी इसे पक्षधर हैं. जिससे श्रद्धालुओं के साथ-साथ तीर्थ पुरोहित व आम जनता लाभान्वित हो.
जलसार बांध का मामला फंसा पेंच में
जलसार बांध की जमीन के अधिग्रहण का मामला विभागीय पेंच में फंसा है. मत्स्य विभाग को जलसार बांध तालाब के बदले मंदिर प्रबंधन बोर्ड की विशनपुर स्थित तालाब से बदलने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन यह प्रस्ताव अधर में लटका हुआ है. इसके लिए न तो मंदिर प्रबंधन बोर्ड पहल कर रही है और न ही जिला प्रशासन. श्रद्धालुओं के हित के लिए पिछले वर्ष मंदिर प्रबंधन बोर्ड ने सर्वसम्मति से विशनपुर स्थित तालाब मत्स्य विभाग को देकर जलसार बांध तालाब लेने का प्रस्ताव लिया था. तत्कालीन सिविल एसडीओ उमा शंकर सिंह ने मत्स्य विभाग को पत्रचार कर तालाब बदलने का प्रस्ताव दिया था तथा सात दिन के अंदर जवाब मांगा था. ताकि जिला प्रशासन जमीन बदलने को लेकर आगे की कार्रवाई कर सके . मत्स्य विभाग ने सिविल एसडीओ को पत्रचार कर कहा कि जमीन बदलने के लिए जिला स्तरीय पदाधिकारी अधिकृत नहीं है. इसके लिए विभाग से अनुमति मांगनी होगी.
शिवगंगा का नहीं हो रहा विकास
लोगों की मांग है कि मंदिर प्रबंधन बोर्ड नाथ बाड़ी की तरह शिव गंगा का भी अधिग्रहण करें. जिससे उसके अस्तित्व को बचाया जाये.
मानसरोवर तट का अस्तित्व खतरे में
मानसरोवर तालाब की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है. उसे देखने वाला कोई नहीं है. लोग मानसरोवर तट पर ही मल-मूत्र कर रहे हैं. इससे आम जनों के साथ-साथ श्रद्धालु भी परेशान हैं.