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लगातार हो रही पैडल क्लिप खोले जाने की घटना, रेल प्रशासन को खुली चुनौती दे रहे अपराधी

मधुपुर: बार-बार रेल पटरी को नुकसान पहुंचा कर अपराधी रेल प्रशासन को अब खुली चुनौती दे रहे हैं. अपराधियों के इस दुस्साहस की लुका-छिपी के खेल में रेल प्रशासन व खुफिया तंत्र के पसीने छूट रहे हैं. लगातार पैडल क्लिप खोलने की घटना से साबित गया है कि यह अब कोई सामान्य घटना नहीं है, […]

मधुपुर: बार-बार रेल पटरी को नुकसान पहुंचा कर अपराधी रेल प्रशासन को अब खुली चुनौती दे रहे हैं. अपराधियों के इस दुस्साहस की लुका-छिपी के खेल में रेल प्रशासन व खुफिया तंत्र के पसीने छूट रहे हैं. लगातार पैडल क्लिप खोलने की घटना से साबित गया है कि यह अब कोई सामान्य घटना नहीं है, बल्कि किसी बड़ी रेल दुर्घटना को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है. रेल प्रशासन के सुरक्षा के तमाम दावों के बाद भी अपराधी ना केवल रेल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं, बल्कि यात्रियों की जिंदगी से भी खेल रहे हैं.
सामंजस्य का दिख रहा अभाव
चितरंजन-मधुपुर स्टेशन के बीच अपराधियों ने पिछले चार माह में आधा दर्जन बार बड़ी रेल दुर्घटना देने का प्रयास किया. लेकिन अब तक रेल प्रशासन किसी भी मामले का पटाक्षेप नहीं कर सकी है. जिस कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हाे रहे हैं. पूरे मामले में कहीं ना कहीं रेल प्रशासन, अधिकारियों व स्थानीय प्रशासन के बीच सामंजस्य का अभाव दिख रहा है. जबकि, केंद्र सरकार द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि विधि-व्यवस्था व घटना के मामले में रेल प्रशासन को राज्य सरकार से सामंजस्य बना कर काम करना है. अब तक किसी भी मामले में स्थानीय प्रशासन व पुलिस प्रशासन की भूमिका गौण ही नजर आ रही है.

आरपीएफ का दायरा सीमित है व उसे विधि व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के लिए हर हाल में स्थानीय पुलिस व जिला प्रशासन का सहयोग लेना है. अब तक जीआरपी की भूमिका भी लिपापोती वाली ही रही है, क्योंकि अगस्त में ही काशीटांड़ के पास अप लाइन पर रेलवे स्लीपर रख कर पंजाब मेल को बेपटरी करने के मामला का भी अब तक उदभेदन नहीं हो पाया है. यदि रेल यात्रियों की सुरक्षा के प्रति रेल प्रशासन व स्थानीय प्रशासन जरा भी सजग होती व आपस में तालमेल बिठा कर ऐसे संवेदनशील मामले में अपनी गंभीरता दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई करती.

आरपीएफ-जीआरपी का संपर्क सूत्र कमजोर !
जानकारी के अनुसार, हाल के दिनों में आरपीएफ व जीआरपी दोनों के सूचना व संपर्क सूत्र कमजोर हुए हैं. आरपीएफ व जीआरपी पुलिस आम लोगों से पूरी तरह कट गयी है. जिस कारण उन्हें जानकारी नहीं मिल पा रही है. जबकि आरपीएफ में आम लोगों को मित्र बना कर सूची व फोन नंबर वरीय अधिकारियों को भी देने और संपर्क रखने का निर्देश है. रेल पुलिस को भी आम लोगों से संपर्क रखने का स्पष्ट निर्देश है.
संगठित गिरोह का काम
सहज तरीके से स्लीपर में लगे पैडल क्लिप आसानी से नहीं खोले जा सकते. पैडल क्लिप खोलने से को जल्दी से नहीं खोला जा सकता है. आरपीएफ से मिली जानकारी के अनुसार, पैडल क्लिप को अपराधियों द्वारा खोल लिये जाना संगठित गिरोह का काम है. अभियंता का कहना है कि लगातार 20 पैडल क्लिप भी खुलने से पटरी का अलाइमेंट व गैज गड़बड़ हो सकता है व ट्रेन बेपटरी हो सकती है.

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