स्पोर्टस हब के रूप में उभर सकता है देवघरसरकार आधारभूत संरचना बना दे तो -कई राष्ट्रीय व प्रांत स्तरी खेल का हो चुका है आयोजन-अब तक नहीं है ढ़ंग का एक भी स्टेडियम-केके स्टेडियम में अक्सर होते रहता है प्रवचन, सांस्कृतिक व राजनीतिक कार्यक्रम-खिलाड़ियों को नहीं मिलता है अभ्यास का समयसंवाददाता, देवघरधार्मिक नगरी देवघर के खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है. यहां के खिलाड़ी प्रांत व देश स्तर पर अपना लोहा लगातार मनवा रहे हैं. सरकार की ओर से जिला के खिलाड़ियों को समुचित सुविधा मुहैया करायी जाय तो देवघर के खिलाड़ी भी देश व राज्य को मेडल दिला सकते हैं. जिला का नाम राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर सकते हैं. यहां खेल की अपार संभावनाएं हैं. कई प्रांतीय खेल संघ देवघर को हब के रूप में देखना भी चाहते हैं. इसके लिए जिला में खेल को बढ़ावा दे रहे हैं. विभिन्न खेलों की मेजबानी देवघर से करवा रहे हैं. लेकिन आधारभूत संरचना के अभाव में सारी मेहनत बेकार जा रही है. कहने को शहर के बीचोबीच कमलकांत नरौने स्टेडियम है. यह आकार में काफी छोटा है. यह भी ऊंट के मुंह जीरा साबित हो रहा है. इतना ही नहीं स्टेडियम को शहर के सभी तरह के कार्यक्रम के लिए बुक कर दिया जाता है. इससे खेल प्रभावित हो जाता है. कुंडा मैदान में जोनल क्रिकेट मैच कराना पड़ता है. शहर से दूर होने से दर्शक नहीं पहुंच पाते हैं. इसका खामियाजा उभरता खिलाड़ियों को भुगतना पड़ता है.पांच साल में हुए हैं कई खेलों का आयोजनदेवघर में पिछले चार-पांच सालों में जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता, जूनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स, जूनियर प्रांतीय वुशु प्रतियोगिता सतसंग, जूनियर राष्ट्रीय ताइक्वांडों प्रतियोगिता केके स्टेडियम, जूनियर राष्ट्रीय बालक-बालिका कबड्डी प्रतियोगिता केके स्टेडियम, जोनल क्रिकेट प्रतियोगिता कुंडा मैदान, वॉलीबॉल सातर संत जेवियर्स आदि कई खेलों का आयोजन देवघर में हो चुका है. इसमें देश के कई प्रांतों के खिलाड़ियों ने शिरकत भी की. यहां स्टेडियम नहीं होने से खिलाड़ी अपना सर्वस्व प्रतिभा का उपयोग नहीं कर पाते हैं. इससे प्रतियोगिता के दौरान कई खिलाड़ी घायल व चोटिल हो जाते हैं.केके स्टेडियम है नाकाफीखिलाड़ियों के खेलने के लिए एक मात्र केके स्टेडियम में है. शहर की आबादी को देखते हुए मजाक बन गया है. यहां सुबह से शाम तक विभिन्न खेलों के खिलाड़ियों का जमघट लगा रहता है. यहां एक साथ पांच से छह टीम क्रिकेट, महिला-पुरुष की एक-एक फुटबॉल टीम सहित कई अभ्यर्थी दौड़ की तैयारी करते हैं. बावजूद साल में छह माह राजनीतिक कार्यक्रम, चुनावी कार्यक्रम, धार्मिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम में बुक रहता है. कार्यक्रम से स्टेडियम का मैदान होता है खराबकार्यक्रम के दौरान स्टेडियम में खूटा-खम्भा गाड़ा जाता है. उसे हटाते वक्त गड्ढा भी ठीक से भरा नहीं जाता है. इससे स्टेडियम की सतह उबड़-खाबड़ हो जाती है. इसमें खिलाड़ी घायल हो जाते हैं. अब तक नहीं बना कुमैठा का स्टेडियम कुमैठा में 19 करोड़ की लागत से मल्टी परपस स्टेडियम बनाया जा रहा है. इसे आउटडोर और इंडोर दोनों तरह के खेलों को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है. यह अब तक तैयार नहीं हो पाया है. इसके बनने से खिलाड़ियों को काफी राहत मिलेगी.क्या कहते हैं झारखंड के खेल प्रेमीभारतीय शैली कुश्ती संघ के प्रांतीय महासचिव शैलेंद्र पाठक ने कहा कि देवघर में द्वादश ज्योतिर्लिंग होने से देश के अन्य प्रांतों के लोगों की इच्छा भी बाबाधाम आने की होती है. यहां राष्ट्रीय स्तर का मैच कराने की आधारभूत संरचना नहीं है. यहां राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाना चाहिए. ताकि देवघर में अधिक से अधिक खेलों का आयोजन कराया जा सके. झारखंड राइफल शूटिंग संघ के महासचिव संजेश मोहन ठाकुर ने कहा कि देवघर में शूटिंग रेंज के लिए स्टेडियम तैयार नहीं है. पूर्व सांसद सह केंद्रीय मंत्री स्व दिग्विजय सिंह ने अपना फंड दिया. मामूली तकनीकी दोष के कारण काम रूका पड़ा है. जिला प्रशासन यदि पूरा करे तो जल्द ही प्रांत स्तर के गेम्स के लिए देवघर को तैयार कर देंगे.
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स्पोर्टस हब के रूप में उभर सकता है देवघरसरकार आधारभूत संरचना बना दे तो -कई राष्ट्रीय व प्रांत स्तरी खेल का हो चुका है आयोजन-अब तक नहीं है ढ़ंग का एक भी स्टेडियम-केके स्टेडियम में अक्सर होते रहता है प्रवचन, सांस्कृतिक व राजनीतिक कार्यक्रम-खिलाड़ियों को नहीं मिलता है अभ्यास का समयसंवाददाता, देवघरधार्मिक नगरी देवघर के […]
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