हाल देवघर नगर निगम का- पहली किश्त अब तक नहीं हो सका कचरा प्रबंधन का ठोस इंतजामफाेटो सुभाष की.इंट्रो : देवघर नगरपालिका (अब देवघर नगर निगम) का पचास वर्ष पूरा होने को है. नगर निगम में 44 गांवों को शामिल किया गया. निगम का क्षेत्रफल बढ़ा, आबादी भी बढ़ी. लेकिन, नागरिक सुविधा उपलब्ध कराने एवं शहर की साफ-सफाई व्यवस्था का मुकम्मल इंतजाम कराने में नगर निगम देवघर विफल है. नगर निगम का दूसरा टर्म चल रहा है. लेकिन, विभाग अब भी डंपिंग ग्राउंड के नाम पर कोरा आश्वासन ही दे रहा है. जब जहां चाहा कूड़ा-कचरा फेंक दिया. नागरिकों ने विरोध किया तो स्थल ही बदल दिया जाता है. अब नगर निगम की कार्यशैली पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है. आखिर नगर निगम क्याें नहीं नागरिकों के भरोसे पर खरा उतर रहा है. इस बारे में प्रभात खबर संवाददाता ने व्यापक पड़ताल की. प्रस्तुत है पड़ताल की किश्तवार रिपोर्ट.- पांच दशक बाद भी नहीं बदले हालात – नागरिकों ने विरोध किया तो स्थल बदल दिया- बलिया चौकी में पांच एकड़ जमीन को नहीं मिला अंचल से एनओसी- देवघर कॉलेज, गुरूकुल एवं भुरभुरा मैदान के समीप महीनों तक फेंका जाता रहा कचरासंवाददाता, देवघर नगर निगम देवघर के पास कचरा प्रबंधन का ठोस इंतजाम नहीं है. निगम क्षेत्र से हर दिन पचास से साठ टन कूड़ा-कचरा जमा होता है. हर दिन औसतन चालीस से पैंतालिस टन ही कूड़ा-कचरा का उठाव हो पाता है. लेकिन,इसके निस्तारीकरण के लिए कोई डंपिंग ग्राउंड उपलब्ध नहीं है. हर दिन कूड़ा-कचरा का निस्तारीकरण इधर-उधर कर दिया जाता है. स्थानीय नागरिकों द्वारा विरोध करने पर कूड़ा-कचरा फेंकने का स्थल ही बदल दिया जाता है. यह सिलसिला वर्षों से चलता आ रहा है. लेकिन, विभाग डंपिंग ग्राउंड के लिए गंभीर नहीं दिख रही है. जानकारी के अनुसार डंपिंग ग्राउंड के लिए बलिया चौकी के समीप पांच एकड़ जमीन की तलाश की गयी थी. लेकिन,अंचल द्वारा एनओसी नहीं दिया गया. नतीजा डंपिंग ग्राउंड का मामला ठंडे बस्ते में चला गया. पहले देवघर कॉलेज के समीप, फिर गुरुकुल सातर बाद में भुरभुरा मैदान के समीप कूड़ा-कचरा नगर निगम ने डंप किया. विरोध के बाद नगर निगम ने कूड़ा-कचरा निस्तारीकरण के लिए स्थल ही बदल दिया. वर्तमान में सत्संग नगर पथ में कोरियासा, गुलीपथार, मोहनपुर प्रखंड के कुछ हिस्सों में कूड़ा-कचरा फेंक रहा है. घनी आबादी वाले हिस्सों में कूड़ा-कचरा डंप करने से संक्रमण का भी खतरा गहराता जा रहा है. लेकिन, नगर निगम को नागरिकों के स्वास्थ से कोई मतलब नहीं रह गया है.
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