देवघर: समाज में अंधविश्वास आज भी कायम है. इसका अंदाजा देवघर अनुमंडल के विभिन्न जगहों पर घटी घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है. महिलाओं को प्रताड़ित करने के लिए डायन बता कर उन्हें प्रताड़ित करने का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है .यहां तक कि डायन के संदेह में मैला पिलाने व प्रताड़ित करने की घटनाएं गत साल की तुलना में इस वर्ष सर्वाधिक दर्ज किये गये . छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग विधवा महिलाओं को विशेष तौर पर डायन होने की शंका के नजरिये से देखा करते हैं.
इस प्रकार की घटनाएं उन क्षेत्रों व समुदायों में अधिक दर्ज हैं जहां पर अशिक्षा साम्राज्य है. केवल देवघर अनुमंडल के सभी थाना क्षेत्रों के अंतर्गत घटी घटनाओं का अवलोकन करने से स्पष्ट है कि प्रतिमाह दस से भी अधिक महिलाएं डायन के संदेह में प्रताड़ित हो रही हैं जो अपनी फरियाद न्यायालय में दर्ज करा रही हैं. इससे सहज अनुमान्य है कि तब इस मामले में सम्पूर्ण जिला की स्थिति क्या होगी . यह हालत तब है जब कि लगभग पचास से अधिक एनजीओ इस मामले में जागरुकता फैलाने का दावा करता है. साथ ही समय – समय पर सरकारी स्तर पर भी भारी धन राशि खर्च किये जा चुके हैं,
क्या कहता है अधिनियम
डायन प्रताड़ना व मैला पिलाने वाली घटनाओं पर रोकथाम के लिए कड़े कानून बने हुए हैं. यह गैर जमानती हैं. डायन प्रतिषेध अधिनियम 3/4/5 के तहत सजा का प्रावधान है. वैसे तो सजा कम है, लेकिन धाराएं गैर जमानती हैं. लोअर कोर्ट द्वारा जमानत नहीं दिया जाता है.
जमानत के लिए सेशन कोर्ट की शरण लेनी होती है. मामले में विचारण के दौरान दोषी पाये जाने पर अधिकतम छह माह तक की सजा मिल सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाये जाने के प्रावधान है.