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दावा: पाकिस्तान से वतन लौटी गीता को लेकर दावेदारी थमी नहीं, जामताड़ा के सोखा ने गीता को बताया बेटी

नारायणपुर/ जैनामोड़. पाकिस्तान से अपने वतन लौट चुकी नि:शक्त गीता को लेकर जामताड़ा जिला के नारायणपुर के बड़ाबेवा गांव के एक आदिवासी परिवार ने दावा किया है. कथित पिता सोखा किस्कू ने देश के पीएम व सूबे के सीएम से गीता को उनसे मिलाने व पहचान करा कर सौंपने की गुहार की है. उसने बुधवार […]

नारायणपुर/ जैनामोड़. पाकिस्तान से अपने वतन लौट चुकी नि:शक्त गीता को लेकर जामताड़ा जिला के नारायणपुर के बड़ाबेवा गांव के एक आदिवासी परिवार ने दावा किया है. कथित पिता सोखा किस्कू ने देश के पीएम व सूबे के सीएम से गीता को उनसे मिलाने व पहचान करा कर सौंपने की गुहार की है. उसने बुधवार को नारायणपुर थाना में इस संबंध में एक आवेदन देते हुए जरूरी छानबीन तथा अनुसंधान करके बेटी को सौंपने की गुहार की है.

मिलोनी भी सात भाई-बहन है : आदिवासी (संथाल) बहुल बड़ाबेवा गांव के निवासी सोखा किस्कू व लोबनी सोरेन (दंपती) ने गीता को अपनी दूसरे नंबर की पुत्री मिलोनी किस्कू बताया है. गीता को अपनी दूसरे नंबर की बहन बताते हुए चांदमुनी किस्कू कहती है कि हम लोग छह बहन व एक भाई हैं.

गीता के भी सात भाई-बहन होने की बात सामने आयी है. जिस गीता को हम देख रहे हैं उससे मां तथा हमारी बहनों संगीता, मंगीता, ललिता का चेहरा मिलता है. साथ ही उसकी बहन भी 14 साल पहले बरसात के दिनों में ही गायब हुई. वह भी गुंगी व बहरी है. गांव से खेत तक का फेरा लगानेवाली निलोनी जब दो दिनों तक घर नहीं लौटी तो आगे खोजबीन शुरू की. दो वर्षों तक निलोनी की खोजबीन जारी रही. कोई सुराग नहीं मिलने पर उसके लौटने की आस छोड़ दी.

हुलिया के आधार पर दावा : 26 अक्तूबर को बोकारो के एक साथी से दूरभाष पर सुर्खियों में छायी गुमशुदा गीता की जानकारी मिली. गीता के हुलिया से अवगत होने पर बड़ा बोआ की निवासी व दुमका की बहू चांदमुनी किस्कू ने उसके अपनी बहन होने का दावा किया. उन्होंने पहचान के तौर पर उसकी बायीं आंख व कान के बीचोबीच तिल के निशान की बात कही. वह भी वर्ष 2001 से लापता हो गयी है.

बोकारो के रहीम ने चांदमुनी को दी दूरभाष पर जानकारी : बोकारो के चास मुफस्सिल थानांतर्गत धोबनी गांव के मो रहीम आलम ने 26 अक्तूबर को दूरभाष पर पाकिस्तान से वतन लौटी गीता की जानकारी दी. रहीम ने दूरभाष पर प्रभात खबर से कहा कि चाईबासा में साइट पर काम के दौरान एक पड़ोसी के रूप में चांदमुनी से उसका परिचय हुआ था. चांदमुनी का पति नागेंद्र हेंब्रम मलेरिया विभाग में एक सरकारी कर्मचारी है. परिचय के दो साल बाद गत 2014 के जून-जुलाई में जब चांदमुनी किस्कू इलाज कराने बीजीएच पहुंची, तब चांदमुनी एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थी. इसी दौरान रहीम को उसकी छोटी बहन की गुमशुदगी की जानकारी हुई.

सात भाई-बहनों में निलोनी दूसरे नंबर की : पिता ने रोते हुए कहा कि अनपढ़ होने व पिछड़े व सुदूर इलाका में रहने के कारण थाना में उसकी पुत्री की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवायी जा सकी. फोन पर बात करते हुए उसकी बहनें संगीता व पूनम ने उचक्कों द्वारा बेचे जाने की शंका जाहिर की. उसने दूरभाष पर अनुनय-विनय करते हुए कहा : साहब, दीदी को ला दीजिये और हमारा साथ दीजिए.

थाना में आवेदन देने पर उचित कानूनी कार्रवाई शुरू होगी. परिवार के दावे को अग्रसारित कर सरकार के संज्ञान में दिया जायेगा. दावा सही होने पर प्रशासनिक स्तर से परिवार की हर संभव मदद की जायगी.
– मनोज कुमार सिंह, एसपी, जामताड़ा

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