देवघर: देवघर में पिछले चार वर्षों से एलए (अर्जीत बसौड़ी) प्रकृति की जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने से सरकार को प्रत्येक माह लाखों के राजस्व की क्षति हो रही है. इससे देवघर की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने से सर्वाधिक उद्योग धंधा प्रभावित हो रहा है.
2011 से पहले देवघर में प्रतिमाह औसतन 80-100 भू-खंडों की रजिस्ट्री होती थी. इसमें सरकार को 60 से 70 लाख रुपये प्रतिमाह राजस्व की प्राप्ति होती थी. इसमें लगभग 30 फीसदी राजस्व एलए प्रकृति की जमीन रजिस्ट्री होने से सरकार को प्राप्त होती रही है.
लेकिन पिछले चार वर्षों से देवघर में जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने से सरकार को प्रतिमाह लाखाें की क्षति हो रही है. देवघर में 2011 में भूमि घोटाला उजागर होने के बाद अचानक एलए प्रकृति की जमीन की रजिस्ट्री बंद हो गयी. हालांकि एलए प्रकृति की जमीन की रजिस्ट्री बंद होने से संबंधित कोई लिखित आदेश नहीं आया. बावजूद पिछले चार वर्षों से देवघर में जमीन की रजिस्ट्री बंद है.
अभी रुल फ्रेम हो रही तैयार
वर्तमान में हाइकोर्ट के निर्देश पर सरकार जमीन की रजिस्ट्री के लिए रुल फ्रेम तैयार कर रही है. हाइकोर्ट ने रुल फ्रेम तैयार करने के बाद ही जमीन की रजिस्ट्री चालू करने का निर्देश दिया है. उसके बाद रुल फ्रेम के दायरे में ही जमीन की रजिस्ट्री होगी.
अनावश्यक रोक उचित नहीं : बाजला
झारखंड फेडरेशन चेंबर आॅफ कॉमर्स के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप बाजला ने कहा कि एलए प्रकृति की जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने से उद्योग-धंधा प्रभावित हो रहा है. उद्योग लगाने के लिए ऋण नहीं दिया जा रहा है. जमीन दूसरे के नाम से ट्रांसफर तक नहीं हो पा रहा है. यह अनावश्यक रोक उचित नहीं है. जांच के दायरे से बाहर वाली एलए प्रकृति की जमीन की रजिस्ट्री चालू होनी चाहिए. अगर किसी कारण से रोक है तो उसका निदान निकालना चाहिए. हमेशा के लिए रोक लगाना उचित नहीं है. उपायुक्त को इसमें पहल कर निदान निकालना चाहिए. चूंकि जनता को परेशानी हो रही है.