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श्रवणी मेले में व्यवस्था की जानलेवा चूक
विजय कुमार देवघर : श्रवणी मेले की दूसरी सोमवारी को बेलाबगान मोड़ के समीप भगदड़ की वजह से 10 कांवरियों की मौत हो गयी. हादसा में तीन दर्जन से अधिक कांवरियों के घायल होने की खबर है. घटना सोमवार की अहले सुबह 4.45 बजे से 5 बजे के बीच की है. ग्राउंड जीरो के प्रत्यक्षदर्शियों […]
विजय कुमार
देवघर : श्रवणी मेले की दूसरी सोमवारी को बेलाबगान मोड़ के समीप भगदड़ की वजह से 10 कांवरियों की मौत हो गयी. हादसा में तीन दर्जन से अधिक कांवरियों के घायल होने की खबर है. घटना सोमवार की अहले सुबह 4.45 बजे से 5 बजे के बीच की है. ग्राउंड जीरो के प्रत्यक्षदर्शियों एवं मृत कांवरियों के परिजनों के अनुसार, बेलाबगान रूट लाइनिंग टर्निग प्वाइंट पर सड़क में बड़ा गड्डा है.
भगदड़ के कारण कतारबद्ध कांवरिया गड्डे में गिरते चले गये. मिली जानकारी के अनुसार, इससे पहले ऑन डय़ूटी पुलिस के एक जवान ने बूट खोल उसे हाथों में लहराते हुए कांवरियों की भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया था. इससे कांवरिये आक्रोशित हो गये और भगदड़ मच गयी.
घटना के बाद वहां कोहराम मच गया. स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए पुलिस की मदद से मृत एवं घायल कांवरियों को पुलिस वैन से सदर अस्पताल पहुंचाया. हादसा के बाद घटना स्थल पर कांवरियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों ने मोरचा संभाला. काफी मशक्कत के बाद सवा दो घंटे बाद यानि सुबह करीब 7.15 बजे बेलाबगान रूट लाइनिंग में स्थिति नियंत्रित हुई.
तब तक पुलिस व प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ स्थानीय मुहल्ले के लोगों खास कर युवाओं ने मोरचा संभाला और भीड़ को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. स्थानीय लोगों का कहना है कि कुव्यवस्था के कारण कांवरियों की मौत हुई है और इसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था जिम्मेदार है. श्रवणी मेले की दूसरी सोमवारी की भीड़ का आकलन प्रशासन को रविवार को ही हो था.
रविवार की देर रात ही कांवरियों की कतार बेलाबगान से निकल कर डढ़वा नदी के पार पहुंच गयी थी. बावजूद कांवरियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मुकम्मल इंतजाम में प्रशासन फेल रहा. कांवरियों की मौत एवं दर्जनों कांवरियों के घायल होने के बाद भी घटना स्थल पर एम्बुलेंस का इंतजाम नहीं था.
घायलों के इलाज में चिकित्सक को परेशानी
भगदड़ में घायल कांवरियों को इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया गया. चिकित्सकों ने घायल कांवरियों का प्राथमिक उपचार शुरू करना चाहा.
लेकिन, कांवरियों को देखने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं की भीड़ अस्पताल के वार्डो में एकत्रित हो गयी. नतीजा घायल कांवरियों के इलाज में चिकित्सकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इलाज कर रहे चिकित्सकों ने कई दफे वार्ड से भीड़ को हटाने का अनुरोध भी किया.
लेकिन, नतीजा सिफर रहा. बारी-बारी से जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता सदर अस्पताल पहुंचते रहे. पूरे दिन यह सिलसिला जारी रहा. चिकित्सकों ने दवी जुबान से यहां तक कह रहे थे कि अगर यही हाल रहा तो घायल मरीजों का बेहतर इलाज संभव नहीं है.
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