देवघर: पिछले वर्ष राइस मिल व एफसीआइ से जब्त घटिया चावल की पोल प्रशासन के नुमाइंदे ने खोली थी. आपूर्ति विभाग की बैठक में डीसी राहुल पुरवार के समक्ष प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारियों ने गरीबों (बीपीएलधारी) को दिये जाने वाला चावल प्रस्तुत किया था. आपूर्ति पदाधिकारियों ने घटिया चावल की शिकायत डीसी से की तो एसडीओ के नेतृत्व में जांच टीम बनाकर छापेमारी की गयी थी.
छापेमारी में चौधरी राइस मिल, एसआरबी फुड्स, निरंजन राइस मिल, श्री यशोदा राइस मिल, भगवती राइस मिल व एफसीआइ से घटिया चावल जब्त किया गया था. तत्कालीन एसडीओ उमाशंकर सिंह ने डीसी को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में जब्त चावल को घटिया ‘खाने लायक’ नहीं बताया था.
एसडीओ ने चावल का नमूना भी डीसी को सौंपा था. इसी रिपोर्ट पर डीसी ने इन छह राइस मिल व एफसीआइ पर कार्रवाई की अनुशंसा तो की थी लेकिन चावल का नमूना नहीं भेजा था. इससे मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. प्रभात खबर ने गरीबों से जुड़े इस निवाले पर लगातार रिपोर्ट प्रकाशित की थी.
मिलावट पर नजर नहीं रख पायी टीम : किसानों से खरीदी गयी धान पैक्सों के माध्यम से पूरी सफाई के साथ राइस मिल भेजी गयी थी. राइस मिल में धान की मिलिंग से पहले व बाद में मिलवाट में निगरानी रखने के लिए तत्कालीन डीसी ने टीम बनायी थी. टीम में दंडाधिकारी के रूप में संबंधित प्रखंडों के बीसीओ को शामिल किया गया था, लेकिन एसडीओ के छापेमारी में जब्त घटिया चावल ने दंडाधिकारियों के कार्यो पर भी सवाल खड़ा कर दिया.