बावजूद डीपीओ ने डीडीसी के स्थान पर हस्ताक्षर कर दिया. इतना ही नहीं डीपीओ ने आनन-फानन में पत्र का उत्तर अपने ही स्तर से तैयार कर डीडीसी की बगैर राय जाने विभाग को भेज दी है. पूरे मामले में डीडीसी ने साफ-साफ डीपीओ से सवाल किया है कि यह अनाधिकृत कार्य किस परिस्थिति में आपके द्वारा किया गया. इस अनाधिकृत कार्य से आपकी मंशा स्पष्ट होती है व संदेह संपुष्ट होता है कि आपके द्वारा गड़बड़ी की गयी है.
इसकी गुप्त व लिखित सूचना भी डीडीसी को मिली है. डीडीसी ने डीपीओ को 24 घंटे के अंदर स्पष्ट करने को कहा है कि आपने अनाधिकृत रूप से एक आरोप का उत्तर स्वयं ही निष्पादित करने का प्रयास क्यों और किस प्रावधान के अंतर्गत किया. डीडीसी ने पत्र में कहा है कि आप काफी लंबे अरसे से छोटी-छोटी टूट के बावजूद देवघर जिले में ही येन-केन प्रकारेण पदस्थापित होने का अवसर पाते रहे हैं. अपनी पद व पकड़ का नाजायज इस्तेमाल गलत तत्वों की संरक्षण में देने में लगातार कर रहे हैं. डीडीसी ने डीपीओ से जिला परिषद से संबंधित सभी फाइलों को वापस लेते हुए सीधे अपने समक्ष फाइल प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. साथ ही डीपीओ को कहा है कि इस कृत्य को स्पष्ट करने में असफल रहते है तो आपके निलंबन व अनुशासनिक कार्रवाई हेतु अनुशंसा आपके मूल विभाग को कर दी जायेगी.