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बुच्ची पहाड़ी का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर

मधुपुर: मधुपुर से सटे दो सौ फीट ऊंचे बुच्ची-बरगुनिया पहाड़ी में पिछले करीब 15 वर्षो से पट्टा के माध्यम से उत्खनन कार्य चल रहा है. जिस कारण 30 एकड़ क्षेत्र में फैले इस पहाड़ का अस्तित्व अब तकरीबन समाप्ति के कगार पर है. पहाड़ को बचाने के लिए ग्रामीणों द्वारा पूर्व में कई बार आंदोलन […]

मधुपुर: मधुपुर से सटे दो सौ फीट ऊंचे बुच्ची-बरगुनिया पहाड़ी में पिछले करीब 15 वर्षो से पट्टा के माध्यम से उत्खनन कार्य चल रहा है. जिस कारण 30 एकड़ क्षेत्र में फैले इस पहाड़ का अस्तित्व अब तकरीबन समाप्ति के कगार पर है. पहाड़ को बचाने के लिए ग्रामीणों द्वारा पूर्व में कई बार आंदोलन भी किया गया. लेकिन ग्रामीणों का विरोध विस्फोट होकर टूटते पत्थर की आवाज के नीचे दबकर रह गयी. पहाड़ों में लगातार विस्फोट के कारण आसपास के घरों में कई बार पत्थर के टुकड़ा आकर गिरता है लोग डरे सहमे व सशंकित जीवन जीते हैं. लेकिन पत्थर खनन रोकने की विभाग व प्रशासन ने कोई कोशिश नहीं की.
अन्य पहाड़ों के भी अस्तित्व पर खतरा
अनुमंडल क्षेत्र सिरसिया, द्वारपहाड़ी, गौरीपहाड़ी, काल्हाजोर आदि कई पहाड़ों में भी अवैध खनन कार्य चल रहा है. अगर ऐसे ही पत्थरों का अवैध खनन जारी रहा तो आने वाले दिनों में यह सभी पहाड़ इतिहास के पन्न में ही सिमटे नजर आएंगे.
विभाग की अनदेखी या मिलीभगत!
अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में दर्जन भर पहाड़ों में रोजाना पत्थर उत्खनन हो रहा है. पत्थर उत्खनन से इन पहाड़ों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. कई जगह पट्टाधारियों द्वारा तो कई जगह अवैध रूप से उत्खनन कार्य किया जा रहा है. पहाड़ों में नियमित रूप से हो रहे खनन के कारण पर्यावरण संतुलन भी तेजी से बिगड़ रहे हैं.
आसपास के इलाकों में जल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है. दर्जनों कुआं व चापाकल का पानी सुख गया है. ऐसा नहीं है कि अवैध पत्थर खनन की जानकारी खनन विभाग के पदाधिकारियों या फिर प्रशासन को नहीं है. खनन माफिया भी इस कदर हावी बने हुए हैं कि खनन विभाग या फिर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा. खनन माफिया भी हावी बने हुए हैं. अब यह विभाग या प्रशासन की अनदेखी का परिणाम है या फिर मिलीभगत का नतीजा, नुकसान तो प्राकृतिक धरोहरों को हो रहा है.

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