प्रारंभ से ही हिंदू धर्म ने धार्मिक सहिष्णुता पर बड़ा जोर दिया. भगवद्गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं- ‘हिंदू चाहे ईश्वर के जिस स्वरूप को श्रद्धा विश्वासपूर्वक पूजता हो, मैं उस स्वरूप में उनकी श्रद्धा को दृढ़ तथा एकाग्र करता हूं. ‘ हिंदू मत ने असाधारण धार्मिक सहिष्णुता व इस विश्वास को जन्म दिया कि अंतिम सत्य एक है, परंतु उस तक पहुंचने के मार्ग अनेक हैं. यही कारण है कि अन्य धर्मों की तरह हिंदू धर्म में धर्म परिवर्तन के लिए कतई जगह नहीं है. वह मानता है कि एक से दूसरे धर्म में जाना मात्र मुखौटे बदलना है. इससे कुछ भी ठोस तथ्य प्राप्त नहीं हो सकता, क्योंकि मनुष्य तो जैसा है, वैसा ही रहता है. असली रूपांतरण तो आध्यात्मिकता का निम्न से उच्च स्तर में रूपांतरण है जो प्रत्येक धर्म में संभव है.
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प्रवचन:::: धार्मिक सहिण्णुता पर हिंदू धर्म में जोर दिया गया
प्रारंभ से ही हिंदू धर्म ने धार्मिक सहिष्णुता पर बड़ा जोर दिया. भगवद्गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं- ‘हिंदू चाहे ईश्वर के जिस स्वरूप को श्रद्धा विश्वासपूर्वक पूजता हो, मैं उस स्वरूप में उनकी श्रद्धा को दृढ़ तथा एकाग्र करता हूं. ‘ हिंदू मत ने असाधारण धार्मिक सहिष्णुता व इस विश्वास को जन्म दिया कि अंतिम […]
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