देवघर: तकनीकी कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के मंत्री व अधिकारी खूब घोषणाएं करते हैं. लेकिन संसाधन मौजूद होने के बाद भी इसे धरातल पर नहीं उतारा जाता है. तकनीकी खेती को विकसित करने के लिए मोहनपुर स्थित बैजनडीह गांव में रवींद्रनाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय का निर्माण कार्य लक्ष्य के अनुसार दिसंबर 2013 तक पूरा हो जाना था व अब तक महाविद्यालय में पढ़ाई भी चालू हो जानी थी. लेकिन अब तक कृषि महाविद्यालय चालू नहीं हो पाया है. महाविद्यालय का क्लास रूम, हॉस्टल व स्टाफ क्र्वाटर का कार्य अधूरा है.
परिसर में सड़क व बिजली जैसी सुविधाएं अधूरी है. अगर कृषि महाविद्यालय में पढ़ाई समय पर चालू हो जाये तो रोजगार के साथ-साथ कृषि में तकनीकी विकास की संभावना बढ़ जायेगी. यह महाविद्यालय तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ उन्नत बीज के उत्पादन के लिए शोध केंद्र भी बन जायेगा. सरकार का यही रवैया देवघर प्रखंड कार्यालय के ठीक पीछे निर्मित कृषि मिट्टी प्रयोगशाला (लैब) के प्रति है.
करीब 14 लाख की लागत से निर्मित इस लैब में मिट्टी जांच किय जाना है. इससे किसानों को मिट्टी की उर्वरक शक्ति का पता चल पायेगा व मिट्टी के अनुसार खेती कर पायेंगे. इससे उत्पादन में वृद्धि आयेगी. लाखों के लैब का तत्कालीन कृषि मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा आनन-फानन में उदघाटन तो करा लिया गया, लेकिन इसमें कोई तकनीकी मशीन नहीं है. आज तक मिट्टी की जांच नहीं हुई है. उदघाटन के बाद लैब का दरवाजा भी नहीं खुला है.
कृषि मंत्री ने भी अब तक नहीं ली सुधि
मोहनपुर स्थित बैजनडीह गांव में रवींद्रनाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय का निर्माण लक्ष्य के अनुसार समय पर पूरा नहीं हुआ व देवघर प्रखंड में लाखों का मिट्टी जांच प्रयोगशाला बेकार पड़ा है. लेकिन देवघर जिले से ही राज्य के कृषि एवं गन्ना विकास मंत्री रणधीर सिंह ने कभी इसकी सुधि तक लेना उचित नहीं समझा. मंत्री का कई बार देवघर आगमन हुआ, बावजूद उन्होंने किसानों व तकनीकी कृषि से जुड़े इस महत्वपूर्ण योजना का जायजा तक नहीं लिया. यहां तक इसे चालू करने में अब तक कोई ठोस पहल भी नहीं की गयी.