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स्थानीय नीति पर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष की प्रतिक्रिया

ललित स्वदेशी जल, जंगल व जमीन झारखंड राज्य की स्थापना का मुख्य मुद्दा था. स्थानीय नीति में वर्ष निर्धारण के पूर्व हमे यह ध्यान देना होगा कि झारखंड राज्य के बनने की मांग किन कारणों से थी. पहला यहां के मूलवासी व आदिवासी का विकास नहीं हो रहा था. उन्हें उनकी जमीनों से बेदखल करने […]

ललित स्वदेशी जल, जंगल व जमीन झारखंड राज्य की स्थापना का मुख्य मुद्दा था. स्थानीय नीति में वर्ष निर्धारण के पूर्व हमे यह ध्यान देना होगा कि झारखंड राज्य के बनने की मांग किन कारणों से थी. पहला यहां के मूलवासी व आदिवासी का विकास नहीं हो रहा था. उन्हें उनकी जमीनों से बेदखल करने की कोशिश हो रही थी. उन्हें पलायन करना पड़ता था, जो आज भी जारी है. झारखंड के राजस्व का अधिकतर भाग बिहार में ही खर्च हो जाता था तथा राजनैतिक नेतृत्व में भी झारखंड की भागीदारी नहीं थी. 15 नवंबर 2000 को झारखंड बनने के बाद जो पदाधिकारी बिहार से आये उनकी मानसिकता में कही भी झारखंड के प्रति अच्छा भाव नहीं था. इसलिये मेरा मानना है कि आज वे लोग ठगे जाने का अनुभव कर रहे हैं. इसमे सुधार करते हुए वर्ष 1988 में जिनका यहां जन्म हुआ, जो यहां शिक्षा प्राप्त किये. जिनका यहां स्थायी निवास था. भले ही वे नौकरी व व्यवसाय बाहर कर रहे हो उन्हें स्थानीय मानना चाहिये. चतुर्थ व तृतीय श्रेणी की नौकरी के लिये जिला के आधार पर वरीयता मिलना चाहिये. – लेखक, साहिबगंज जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हैंफोटों नं 5 एसबीजी 22 हैं.कैप्सन: ललित स्वदेशी

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