17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रवचन:::: खेचरी मुद्रा के बाद साधक का पुनर्जागरण होता है

अन्य परीक्षा में सूर्य देवता की मृत्यु के प्रतीक स्वरूप साधक को एक ताबूत में रखकर धरती में कई दिनों के लिए गाड़ दिया जाता है. यह ध्यान की उच्च अवस्था में पहुंचे योगियों के उन वैज्ञानिक परीक्षणों से मिलता-जुलता है जिसमें वे स्वयं को एक निर्वात पेटी में बंद कर लेते अथवा धरती के […]

अन्य परीक्षा में सूर्य देवता की मृत्यु के प्रतीक स्वरूप साधक को एक ताबूत में रखकर धरती में कई दिनों के लिए गाड़ दिया जाता है. यह ध्यान की उच्च अवस्था में पहुंचे योगियों के उन वैज्ञानिक परीक्षणों से मिलता-जुलता है जिसमें वे स्वयं को एक निर्वात पेटी में बंद कर लेते अथवा धरती के भीतर गाड़ लेते थे. इस परीक्षण में साधक का जिंदा बच निकलना उसके द्वारा की जाने वाली खेचरी मुद्रा के कुशल अभ्यास पर निर्भर करता था. यह एक तांत्रिक तकनीक है. खेचरी मुद्रा में प्राण नासिका रंध्र के ऊपर संचित रहता है जिससे नासिका द्वारा श्वास-प्रश्वास की आवश्यकता नहीं रह जाती तथा शरीर इस कालावधि में निष्क्रियता की स्थिति में रहता है. ऐसा समझा जाता था कि इन परीक्षणों में सफल होने के बाद साधकों का पुनर्जागरण होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें