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यूजीसी के मापदंड के तहत वेतन व पदों की हो स्वीकृति

देवघर: हिंदी विद्यापीठ देवघर से संबद्ध गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय देवघर गैर हिंदी प्रांतों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बखूबी कर रहा है. यही नहीं गैर हिंदी प्रांतों को देश की मुख्य धारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य भी कर रहा है. लेकिन, विद्यापीठ को मिलने वाला केंद्रीय अनुदान शिक्षा एवं गैर शिक्षा कर्मियों के अनुपात में […]

देवघर: हिंदी विद्यापीठ देवघर से संबद्ध गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय देवघर गैर हिंदी प्रांतों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बखूबी कर रहा है. यही नहीं गैर हिंदी प्रांतों को देश की मुख्य धारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य भी कर रहा है. लेकिन, विद्यापीठ को मिलने वाला केंद्रीय अनुदान शिक्षा एवं गैर शिक्षा कर्मियों के अनुपात में काफी कम है. महाविद्यालय में अध्ययनरत नागालैंड, मणिपुर व असम के छात्रों को दिये जाने वाला स्टाइपन की राशि भी पर्याप्त नहीं है.

यही नहीं महाविद्यालय में शिक्षण से जुड़े तमाम कार्य होते हैं. बावूजद यहां लिपिक, क्रीड़ा शिक्षक, संगीत शिक्षक, छात्रवास वार्डन, आदेशपाल का पद भी स्वीकृत नहीं है. नतीजा आज भी महाविद्यालय के तमाम कार्यो को पूरा करने में कार्यरत कर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. महाविद्यालय के प्राचार्य श्रीकांत झा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा स्वीकृत अनुदान की राशि से प्रवेशिका (मैट्रिक), साहित्यभूषण (इंटरमीडिएट) एवं साहित्य अलंकार (डिग्री) परीक्षा के लिए निर्धारित पूर्णकालीन वर्ग व्यवस्था महाविद्यालय कर रहा है.

महाविद्यालय को मिलने वाला केंद्रीय अनुदान काफी कम है. यही वजह है कि आज भी प्राचार्य को चार हजार, प्राध्यापक को 26 सौ, अनुदेशक एवं पुस्तकाध्यक्ष को 19-19 सौ रुपये प्रतिमाह लेकर संतोष करना पड़ रहा है. महाविद्यालय के संचालन में विद्यापीठ के व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण योगदान है. व्यवस्थापक आर्थिक सहयोग देकर महाविद्यालय के संचालन में काफी मदद भी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने की घोषणा के साथ भरोसा जगा है कि महाविद्यालय के भी अच्छे दिन आयेंगे. क्या सचमुच में हिंदी निदेशालय की संवेदना जगेगी.

यह महाविद्यालय का इंटरनल मामला है. इसे सार्वजनिक करने का कोई औचित्य नहीं था. विद्यापीठ को मिलने वाला अनुदान में वृद्धि के लिए कई बार केंद्र सरकार से पत्रचार भी किया गया. लेकिन, कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है. फिर भी महाविद्यालय के कर्मियों को प्रत्येक वर्ष बोनस, इंक्रीमेंट का लाभ दिया जाता है. यह सब विद्यापीठ के इंटरनल सोर्स से ही होता है.
– केएन झा, व्यवस्थापक , हिंदी विद्यापीठ देवघर

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